बागपत

Exclusive: अपनी आंखें दान करेंगी शूटर दादी- देखें वीडियो

Highlights

पत्रिका के साथ साझा की अपने दिल की बात
शूटर दादियों पर बन चुकी है फिल्‍म सांड की आंख
कहा- मेरी आंख बहुत अच्‍छी है, किसी का भला होगा

बागपतFeb 10, 2020 / 02:30 pm

sharad asthana

सचिन त्‍यागी, बागपत। शूटर दादी (Shotter Dadi) प्रकाशी तोकर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। उनका डंका देश-दुनिया में बजता है। उनकी तेज नजर से कोई नहीं बच सकता है। निशाना ऐसा अचूक है कि देश उनको शूटर दादी के नाम से जानता है। 65 वर्ष की आयु में डीआईजी (DIG) को हराकर गोल्ड (Gold) जीतने वाली प्रकाशी तोमर को लोग रिवॉल्वर दादी के नाम से भी जानते हैं। शूटर दादी ने अब अपनी आंखें दान करने का ऐलान करके लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है।
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दादी को प्‍यारी हैं उनकी आंखें

पत्रिका टीम के साथ दादी प्रकाशी तोमर ने इस बात को सांझा किया। दादी को उनकी आंखें सबसे प्यारी हैं। उनकी दूर तक देखने की नजर ही आज उनको उस मुकाम पर लेकर पहुंची है, जहां से उनको दुनिया भर में प्यार मिला रहा है। आज वह एक सेलिब्रेटी की तौर पर जानी जाती है। अब उन्होंने अपनी ये प्‍यारी आंखें दान करनी की बात कही है। दादी की उम्र 84 से ज्‍यादा है लेकिन उनको आज भी इतना सही दिखाई देता है कि वह एक ही बार में सटीक निशाना लगा सकती हैं। उनके हाथ में अगर गन हो तो परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। उनकी इसी काबलियत पर एयरफोर्स ने सम्मान भी दिया था।
ऐसे पड़ा रिवॉल्‍वर दादी का नाम

दादी के नेत्र दान की घोषणा से परिवार के लोग भी खुश हैं। दादी प्रकाशी तोमर कहती हैं, मैं अपनी आंखें जरूर दान करूंगी मरते वक्‍त। मेरी आंख बहुत अच्‍छी है। किसी का भला होगा। मुझे दुआ देंगे। ये मैं जरूर दान करूंगी। वह चाहती हैं कि उनकी आंखों की रोशनी से किसी की दुनिया रोशन हो सके। वह उन आखों से दुनिया को सामने भी मौजूद रहें। बता दें कि शूटर दादी के जीवन पर फिल्‍म सांड की आंख भी (Saand Ki Aankh) बन चुकी है। इसमें तापसी पन्‍नू (Tapsee Pannu) और भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) ने दोनों दादियों की भूमिका निभाई थी। इसमें उनके संघर्ष को दिखाया गया है। फिल्‍म दर्शकों को काफी पसंद आई है।
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‘म्‍हारा जीवन सफल हो गया’

इस पर दादी बोलीं, सांड की आंख बहुत अच्‍छी पिक्‍चर लगी। म्‍हारे ऊपर यह फिल्‍म बनी। म्‍हारा जीवन सफल हो गया। उन्‍होंने रिवॉल्‍वर दादी के पीछे का राज भी बताया। उन्‍होंने कहा, एक साल खेलकर मैंने डीआईजी को हराकर मेडल लिया था। जिब से रिवॉल्‍वर दादी बोलन लगे लोग। पिस्‍टल में बहुत मेडल लिए, तब से लोग रिवॉल्‍वर दादी वाली शूटर बोलन लगे थे।
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