गौरतलब है कि फिरोज खान को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में सहायक आचार्य के पद पर नियुक्त किया गया है लेकिन वहां उनके धर्म को लेकर मुद्दा बनाया जा रहा है और कहा जा रहा है कि यूनिवर्सिटी में संस्कृत के अध्ययन के लिए मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति गलत है। फिरोज जयपुर के संस्कृत संस्थान में गेस्ट फैकल्टी के रूप में पढ़ा चुके हैं।
फिरोज के पिता रमजान खान ने बताया कि हमारे पूरे परिवार का संस्कृत से जुड़ाव रहा है। उनके चारों बेटों ने संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की है। फिरोज का शुरू से संस्कृत में रुझान रहा है और उसने संस्कृत में ही डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की है। फिरोज की प्रारंभिक शिक्षा बगरू के राजकीय संस्कृत विद्यालय से हुई। इसके बाद आचार्य (एमए) व पीएचडी की उपाधि जयपुर के राष्ट्रीय संस्कृत शिक्षा संस्थान से की।
घर में श्रीकृष्ण की तस्वीरें, रोज घंटों गोशाला में सेवा
फिरोज के दादा संगीत विशारद मास्टर गफूर खां गोभक्त रहे जो गो ग्रास के बाद ही भोजन लेते थे। रमजान के घर की दीवारों पर भगवान कृष्ण की तस्वीरें लगी हैं। रमजान ने १५ वर्षों से गोशाला से जुड़े हैं और रोज कई घंटे गोसेवा में गुजारते हैं और गोशाला के मंदिर में गौरक्षा हरिनाम संर्कीतन करतेे हैं। उन्हें सुंदरकांड , हनुमान चालीसा व कई भजन कंठस्थ हैं। रमजान ने श्याम सुरभि वंदना शीर्षक से भजन पुस्तिका भी लिखी है।
संस्कृत से जुड़ा पूरा परिवार
रमजान के चार पुत्रों वकील, शकील, फिरोज व वारिस को संस्कृत विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कराई। रमजान की छोटी बेटी का जन्म दीपावली पर होने से उसका नाम लक्ष्मी रखा और बड़ी बेटी का नाम अनीता है। परिवार बगरू में दो कमरों के मकान में रह रहा है।
इनका कहना है…
फिरोज बहुत ही होनहार विद्यार्थी रहा है। उसने यहां करीब १३ वर्ष कैंपस में बिताए हैं। तीन वर्ष तक गेस्ट फेकल्टी पर लेक्चरर के रूप में कार्य किया है। बनारस विवि. में विरोध हो रहा है जो कि प्रायोजित भी हो सकता है। कुछ लोग राजनीति चमकाने के लिए भी ऐसा कार्य करते हैं।
– प्रोफेसर अर्कनाथ चौधरी, प्राचार्य राष्ट्रीय संस्कृत शिक्षा संस्थान, जयपुर