अनाज मंडी पर घाटे का ‘घुन’, सालाना घटती जा रही आय
चौमूं अनाज मंडी में साल दर साल आमदनी कम होने से लक्ष्यों की पूर्ति नहीं हो रही है।
अनाज मंडी पर घाटे का ‘घुन’, सालाना घटती जा रही आय
चौमूं (जयपुर)। प्रदेश की बड़ी अनाज मंडियों में शामिल चौमूं अनाज मंडी में साल दर साल आमदनी कम होने से लक्ष्यों की पूर्ति नहीं हो रही है। इससे मंडी घाटे में चल रही है। ऐसे में कृषि मंडी विपणन विभाग के निदेशक ने हाल में ही मंडी में हर हाल में लक्ष्य करने के निर्देश जारी किए हैं। इसके चलते मंडी प्रशासन की नींद उड़ी हुई है। चौमूं की अनाज मंडी प्रदेश की पुरानी एवं ज्यादा आय वाली मंडियों में शामिल हैं। पूर्व में यह मंडी यार्ड गढ़ के चारों ओर नहर एवं इसके आस-पास की जमीन में संचालित थी। इस मंडी की भूमि पर वर्ष 1988 तक व्यापार चला। वर्ष 1988 में मुख्य मंडी यार्ड का निर्माण राधाबाग में हो गया, जिसमें मंडी को स्थानान्तरित किया गया। नए यार्ड में व्यापारियों एवं मंडी प्रशासन की सुविधाओं में इजाफा हुआ। किसानों को भी माल लाने में राहत मिली।
आय में पिछड़ रही
पत्रिका ने कृषि उपज मंडी चौमूं में पांच साल हुई आंकड़ों की पड़ताल की तो चौमूं मंडी में विभिन्न कारणों के चलते राजस्व आय साल दर साल कम होती जा रही है। लक्ष्य भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो 2017-18 में 681.60 लाख रुपए का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन मंडी प्रशासन मात्र 587.68 लाख की आय अर्जित कर पाया। इसी तरह वर्ष 2018-19 में कृषि विपणन निदेशालय ने 646.44 लाख रुपए का लक्ष्य दिया, लेकिन दिसम्बर, 2018 तक मात्र 377.02 लाख रुपए की आय हो पाई है।
ये बताए कारण
सूत्रों की मानें तो पिछले सालों में कम हो रही आय के पीछे नवम्बर, 2016 में सरकार की ओर से सब्जी मंडी यार्ड को चौमूं अनाज मंडी से अलग करके पूर्ण रूप से सब्जी मंडी बना देने से अनाज मंडी की वार्षिक आय विभाजित हो गई। इसके अलावा क्षेत्र में जलस्तर गिरने से पैदावार भी कम होती रही है।यही नहीं, मूंगफली, चना, मूंग आदि को समर्थन मूल्य पर खरीदने के कारण मंडी टैक्स पर असर पड़ा है। वहीं अब किसानों ने दूसरी मंडियों का रुख भी करना शुरू कर दिया है, जिसके चलते चौमूं मंडी की आय में कमी आ रही है। वहीं यह भी चर्चा है कि मंडी में टैक्स चोरी भी होती है। हालांकि इसकी पुष्टि कोई नहीं कर रहा है।
निदेशालय ने दिए निर्देश
कृषि विपणन निदेशालय जयुपर के निदेशक दीपक नंदी ने गत दिनों को निर्देश दिए हैं कि दिसम्बर, 2018 तक प्रदेश की अधिकतर मंडियों में लक्ष्य पूरी नहीं हो पाए हैं। इसे लेकर जनवरी को निदेशालय में अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में मंडी शुल्क के लिए आवंटित लक्ष्यों को शत-प्रतिशत पूरा करने के निर्देश दिए हैं। लक्ष्य पूरे नहीं होने पर संंबंधित जिम्मेदार कार्मिकों व अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की चेतावनी दी गई है।
5 साल के आंकड़ों पर एक नजर
वित्तीय वर्ष—आय (लाखों में)
2014-2015—612.74
2015-2016—772.78
2016-2017—730.31
2017-2018—587.68
2018-2019—377.02 (दिसम्बर तक)
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