फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि छह वर्षीय असहाय बच्ची थी जिसके द्वारा प्रतिरोध नहीं किया जा सकता था। अभियुक्त ने छोटी बच्ची का बलात्कार कर बेरहमी से गला घोंटकर उसकी हत्या की। यह अपराध केवल नृशंस ही नहीं है बल्कि सम्पूर्ण समाज को प्रभावित करने वाला है। यह घटना ऐसी घटना है जिसको सोच अहसास नि:शब्द हो जाते हैं। भावनाएं खामोश हो जाती हैं। मृतका की पीड़ा की अभिव्यक्ति को लफ्ज नहीं मिलते हैं।
मृतका व उसके सम्मान को तो वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन उसके सम्मान को कायम रखने के लिए बर्बरता से किए गए अपराध करने वाले अपराधी को सख्त सजा से दण्डित किया जाने का दायित्व न्यायालय का है। जिससे अपराधियों में भय व्याप्त हो सके। अभियुक्त को मृत्युदंड के अलावा कोई ओर दंड दिया ही नहीं जा सकता।
यह था मामला
गौरतलब है कि 21 मई 2011 को आरोपी महेन्द्र फागी निवासी परिचित के घर आया था। जहां उसकी 6 वर्षीय पुत्री अकेली थी। इसका फायदा उठाकर वह उसके कच्चे मकान में बने एक कमरे में ले गया, जहां उसके साथ बलात्कार किया फिर सूंतली (रस्सी) से गला घोटकर उसकी हत्या कर दी। शव को बक्से के पीछे छिपाकर एवं घर में बंधा बकरा लेकर फरार हो गया। परिजनों ने बच्ची को तलाश तो शव लहूलुहान हालत में मिला। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया।
चार धाराओं में अलग-अलग सजा
सहायक लोक अभियोजक हनुमान सहाय पारीक ने बताया कि प्रकरण में 32 गवाहों के साक्ष्य कराए गए। जिसके बाद आरोपी को न्यायाधीश ने धारा 380 के तहत 7 वर्ष का कठोर कारावास एवं 20 हजार रुपए का अर्थ दण्ड व धारा 450 के तहत 10 वर्ष का कठोर कारावास व एक लाख का अर्थदण्ड एवं धारा 376 के तहत आजीवन कारावास के कठोर दंड एवं धारा 302 आईपी में मृत्युदंड से दंडित कर कुल पांच लाख के अर्थ दण्ड की सजा सुनाई।