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रेंजर 1, गार्ड 2, कैसे हो वनों की सुरक्षा

वाहन ना हथियार फिर कैसे रोकें शिकार और पेड़ों की कटाई

बगरूSep 29, 2018 / 10:41 pm

Kashyap Avasthi

How to prevent weapons and trees harvesting

रेंजर 1, गार्ड 2, कैसे हो वनों की सुरक्षा

गोविन्दगढ़ . प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिए हर वर्ष हजारों पेड़ लगाये जाते हैं। वृक्षारोपण व वन्य जीवों की सुरक्षा की लिए करोड़ों रुपए का बजट आवंटन किया जाता है। लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद ना पेड़ों की संख्या की बढ़ पा रही है और ना ही वन्य जीवों की सुरक्षा हो रही। चौमूं उपखण्ड़ में वन्य जीवों तथा हरे पेड़ों की सुरक्षा का जिम्मा वन अधिकारी हाड़ौता के अधीन है। क्षेत्र में संसाधनों के अभाव में बहुतायात में पाए जाने वाले कई वृक्ष व वन्य जीव लुप्त होने की कगार पर हैं।
जानकारी के अनुसार 1997 से पुर्व वन अधिकारी कार्यालय राजावास में किराये के मकान में चलता था। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में बढ रहीं शिकार की घटनाओं एवं हरे पेड़ों की कटाई रोकने के लिए जमीन का आवंटन कर हाड़ौता में क्षेत्रिय वन अधिकारी कार्यालय शुरू किया गया। सरकार ने वन अधिकारी कार्यालय तो खुलवा दिया लेकिन सुविधाओं का विस्तार करना भूल गई। वर्तमान में वन अधिकारी कार्यालय हाड़ौता में एक क्षेत्रीय वन अधिकारी व दो गार्ड कार्यरत हैं जबकि तीन कैटल गार्ड हैं। जिनके पास ३२ ग्राम पंचायतों का भार होने के साथ ही चौमूं पालिका क्षेत्र का भी जिम्मा है। ऐसे में वन्य जीवों व पेड़ों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।
अवैध कटाई
ग्रामीण क्षेत्र में बहुतायात में पाया जाने वाला राज्य वृक्ष खेजड़ी की ग्रामीण क्षेत्र में अवैध कटाई के कारण कई गावों में लुप्त होने के कगार पर है। जबकि रोहिड़ा यदा-कदा ही नजर आ रहा है। वहीं राष्ट्रीय पक्षी मोर, खरगोस,बटेर, तीतर, बया पक्षी, घरेलु चिडिय़ा, लोमड़ी, हरियल, कौवा, बगुला सहित कई पक्षी लुप्त होने के कगार पर हैं।
घायल वन्य जीवों के लिए जगह का अभाव
हाडौता स्थित क्षेत्रिय वन अधिकारी कार्यालय में घायल वन्य जीवों को रखने के लिए कोई जगह नहीं है। हालांकि कार्यालय के चारों ओर चारदिवारी है लेकिन इसकी ऊंचाई कम होने के कारण कुत्ते या अन्य कोई शिकारी जानवर घायल वन्य जीवों को अपना शिकार बना लेते हैं।
यह है कार्य
हरे पेड़ों की सुरक्षा, वन्य जीवों की रक्षा, अवैध खनन रोकथाम, घायल वन्य जीवों की रक्षा, पौधरोपण, पौधरोपण की तैयारी, पौधे तैयार करना, नर्सरी लगाकर सुरक्षा करना, वन्य जीवों व वनों का अवैध परिवहन रोकना, वृक्षारोपण सहित अन्य जिम्मेदारी भी है। लेकिन दो गार्ड व तीन कैटल गार्ड के भरोसे ना वन्य जीवों की सुरक्षा हो पा रही और ना ही वन सम्पदा को बढ़ावा मिल रहा।
बस में सफर कर पहुंचते हैं मौके पर
वन अधिकारी कार्यालय स्वीकृत करने के बाद सुविधाओं का विस्तार नहीं होने के कारण वन अधिकारी कार्यालय में कार्यरत गार्ड शिकायत मिलने पर बस में सफर कर मौके पर पहुंचते हैं। ऐसे में ना तो शिकार हाथ आ पाते हैं और ना ही कटे पेड़ मौके पर मिलते हैं। वन अधिकारी कार्यालय में वन्य जीवों व वनों की सुरक्षा के लिए वाहन की सुविधा नहीं है तथा कार्यरत गार्डो के पास सुरक्षा के लिए मात्र लकड़ी का डंडा है। ऐसे में चौमूं उपखण्ड़ में वनों तथा वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए संसाधनों का अभाव है।

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