script11 साल की उम्र में दोनों हाथ गंवाए, हौसले से पाया मुकाम | Lost both hands at the age of 11, found freshness | Patrika News
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11 साल की उम्र में दोनों हाथ गंवाए, हौसले से पाया मुकाम

– फरार्ट से चलाते हैं बाइक और कंप्यूटर

बगरूDec 02, 2019 / 11:30 pm

Ramakant dadhich

11 साल की उम्र में दोनों हाथ गंवाए, हौसले से पाया मुकाम

11 साल की उम्र में दोनों हाथ गंवाए, हौसले से पाया मुकाम

मूंडरू. ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख होने से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।
उक्त पंक्तियों की सार्थकता सिद्ध की है रतनपुरा गांव के नि:शक्त ओमप्रकाश सैनी ने। जिन्होंने एक हादसे में दोनों हाथ गंवाने के बावजूद हौसला नहीं हारा और मेहनत के दम पर मुकाम हासिल किया। 31 साल के ओमप्रकाश सैनी लोगों के लिए जज्बा, हौसला और जिंदादिली का उदाहरण है। 11 साल की उम्र में दोनों हाथ चारा काटने की मशीन में आने से कट गए थे। इसके बावजूद हौसला नहीं खोया। ओमप्रकाश वर्तमान में एसबीआई बैंक शाखा चौमूं में क्लर्क पद पर नियुक्त हैं। रतनपुरा की झांझुड़ा ढाणी के किसान परिवार में जन्मे ओमप्रकाश सात भाइयों में छठे नम्बर के हैं। सैनी कोहनियों से कंप्यूटर ऑपरेट करते हैं, वहीं दुपहिया तथा चौपहिया वाहन भी आसानी से चला लेते हैं। ओमप्रकाश की शादी वर्ष 2012 में हुई। उनके 3 साल की बेटी मानवी व चार माह का एक बेटा है।
संघर्ष की कहानी
ओमप्रकाश जब तीसरी कक्षा में पढ़ते थे उसी दौरान यह हादसा हुआ। स्कूल से आने के बाद वे चारा काटने की इलेक्ट्रॉनिक मशीन की चपेट में आ गए। इससे उनके दोनों हाथ कोहनियों तक पूरी तरह कट गए थे। बाद में उन्हें कई दिनों तक परेशानी रही। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। हाथ गंवाने के बाद भी पढ़ाई जारी रखी। शुरुआत में उन्हें लिखने में परेशानी हुई, लेकिन निरंतर अभ्यास के बाद लेखन आसान हो गया। ओम प्रकाश बताते हैं कि हाथ गंवाने के बाद जब भी दूसरों को साइकिल चलाते देखते तो उदास हो जाते, लेकिन उन्होंने तय किया कि वह अपनी कमजोरी को जीतने नहीं देंगे। 13-14 साल की उम्र में साइकिल चलाना सीखना शुरू किया। कई बार गिरे भी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। साइकिल सीखने के बाद वे बाइक व चौपहिया वाहन भी चलाने लगे। वहीं कोहनी और बांह से पैन पकड़ कर लिखना सीख लिया। दसवीं कक्षा में स्कूल भी टॉप किया। कड़ी मेहनत रंग लाई और नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ा। वर्ष 2012 में फस्र्ट ईयर में पढऩे के दौरान तत्कालीन एसबीबीजे बैंक में नौकरी लग गई। सपना ऊंचे ओहदे पर जाने का था, जिसके लिए पढ़ाई जारी है।
यूं चलाते हैं कम्प्यूटर
ओमप्रकाश कंप्यूटर ऑपरेट करने के लिए कोहनियों के पास पैन को फंसाते हैं। फिर पेन से ही की-बोर्ड के बटन दबाते हैं। वे एंड्रॉइड मोबाइल भी आसानी से चला लेते है। वर्तमान में एसबीआई बैंक चौमू में क्लर्क के पद पर नियुक्त हैं।

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