scriptबच्चों की जिंदगी से मोबाइल खेल रहा गेम | Mobile playing game from children's life | Patrika News
बगरू

बच्चों की जिंदगी से मोबाइल खेल रहा गेम

— ग्रामीण बच्चों में भी बढ़ा मोबाइल पर गेम खेलने का क्रेज— कोरोना की दूसरी लहर के बाद का हाल — आंखों में परेशानी, सिरदर्द के साथ हो रहे आक्रामक

बगरूSep 23, 2021 / 06:28 pm

Narottam Sharma

प्रतीकात्मक।

प्रतीकात्मक।

जयपुर. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान घर पर आॅनलाइन कक्षाएं ले रहे स्कूली बच्चों में मोबाइल का दुष्प्रभाव देखने को मिला है। साथ ही बच्चों को मोबाइल पर गेम खेलने की लत भी लग गई, जो उनके लिए नुकसानदेह साबित हो रही है। इससे बच्चे आंखों में परेशानी, सिरदर्द सहित कई अन्य बीमारियों की चपेट में आ गए। जयपुर ग्रामीण अंचल में चिकित्सकों के पास पिछले तीन माह में 1000 से अधिक ऐसे बच्चे उपचार के लिए पहुंचे जो मोबाइल की अधिकता व लत से परेशान थे। मोबाइल पर गेम खेलने से मां के टोकने पर एक बालक ने हाल ही में 30 अगस्त को किशनगढ़ रेनवाल में आत्महत्या तक कर ली थी। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा के प्रति अभिभावकों की और अधिक जिम्मेदारी बन जाती है।
तीन माह में बढ़ी परेशानी
चौमूं सीएचसी में आंखों से हर रोज 80 मरीजों का आउटडोर रहता है। जिनमें से करीब 35 मरीज ऐसे हैं, जिनकी मोबाइल के कारण आंखों में परेशानी आ रही है। ये सिर्फ युवा हैं, जो अध्ययन कर रहे हैं। चौमूं सीएचसी में वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ सुनीता चौधरी ने बताया कि इन मरीजों के आंखों में खुजली, आंखों में सूखापन, धुंधला दिखाई देना, आंखों से पानी बहना आदि रोग शामिल है। पिछले 3 माह से ये समस्या अधिक देखने को मिल रही है। अधिक देर मोबाइल रहने पर बच्चे मोबाइल पर गेम खेलने के भी आदी हो गए हैं।
ऐसे होती है शुरुआत
अभिभावक जरूरी काम में व्यस्त रहते हैं। बच्चें उन्हें परेशान ना करें इसलिए वह उन्हें मोबाइल दे देते हैं। इससे बच्चों में मोबाइल गेम, ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन वीडियोज देखने की लत लगनी शुरू हो जाती है। धीरे—धीरे यह लत गंभीर रूप ले लेती है।
बच्चों को इस तरह मोबाइल से बचा सकते हैं
— बच्चों के सामने मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल न करें।
— खेल—खिलौने दें, इससे उनकी शारीरिक क्षमता बढ़ेगी।
— बच्चों को अकेला न छोड़े, उन्हें वक्त दें और उनसे बातें करें।
— उनकी दिलचस्पी जानने की कोशिश करें, उस अनुसार चीजें उपलब्ध कराएं।
— बच्चों को बुक्स पढ़ना और घर के बाहर खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।
— खाली समय में बच्चों को चित्रकारी, नृत्य, संगीत सिखाएं।

चिकित्सकों की जुबानी…
पिछले महीनों में 50 से अधिक ऐेसे मामले आए हैं। जिनमें बच्चों को मोबाइल से परेशानी हुई। मोबाइल पर लगातार जुड़े रहने से बच्चों में खाने—पीने से संबंधित परेशानियां भी आई हैं।
डॉ. शंकर प्रजापति, शिशु रोग विशेषज्ञ, चाकसू राजकीय सैटेलाइट अस्पताल

मोबाइल के लगातार उपयोग से बालकों में चिड़चिड़ापन, भूख नहीं लगने, सिर दर्द की शिकायते आ रहती हैं। मोबाइल नहीं देने पर बच्चे रोने लग जाते हैं। अस्पताल में लगातार ऐसे अभिभावक आ रहे हैं। सौ से अधिक मामले आ चुके हैं।
डॉ. मनफूल चौधरी, शिशु रोग विशेषज्ञ, बीडीएम अस्पताल कोटपूतली।
बच्चों में मोबाइल के कारण सिर दर्द व आंखों में समस्या के केस आए हैं। अभी हाल ही में एक केस ऐसा भी आया जिसमें 18 साल का एक जना मोबाइल दूर रखने पर गुस्सा करता है यहां तक की मारपीट पर उतारू हो जाता है।
डॉ. करन सिंह शेखावत, चिकित्सक, सीएचसी जोबनेर
प्रति माह 10 से 15 केस मोबाइल की लत से परेशान बच्चों के आ रहे हैं। मोबाइल से बच्चे का ध्यान भटकने लगता जाता है। ऐसे में किसी भी काम में एकाग्र नहीं रहता। उन्हें इससे बचाना चाहिए।
डॉ. महेन्द्र पलसानिया, शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ, राजकीय अस्पताल शाहपुरा
एक माह में इतने पहुंचे अस्पताल
चौमूं : 800
कोटपूतली : 100
चाकसू : 50
तूंगा : 15
शाहपुरा : 20
जोबनेर : 12
तूंगा : 15
— चिकित्सकों के बताए अनुसार

Home / Bagru / बच्चों की जिंदगी से मोबाइल खेल रहा गेम

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो