चौमूं सीएचसी में आंखों से हर रोज 80 मरीजों का आउटडोर रहता है। जिनमें से करीब 35 मरीज ऐसे हैं, जिनकी मोबाइल के कारण आंखों में परेशानी आ रही है। ये सिर्फ युवा हैं, जो अध्ययन कर रहे हैं। चौमूं सीएचसी में वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ सुनीता चौधरी ने बताया कि इन मरीजों के आंखों में खुजली, आंखों में सूखापन, धुंधला दिखाई देना, आंखों से पानी बहना आदि रोग शामिल है। पिछले 3 माह से ये समस्या अधिक देखने को मिल रही है। अधिक देर मोबाइल रहने पर बच्चे मोबाइल पर गेम खेलने के भी आदी हो गए हैं।
अभिभावक जरूरी काम में व्यस्त रहते हैं। बच्चें उन्हें परेशान ना करें इसलिए वह उन्हें मोबाइल दे देते हैं। इससे बच्चों में मोबाइल गेम, ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन वीडियोज देखने की लत लगनी शुरू हो जाती है। धीरे—धीरे यह लत गंभीर रूप ले लेती है।
— बच्चों के सामने मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल न करें।
— खेल—खिलौने दें, इससे उनकी शारीरिक क्षमता बढ़ेगी।
— बच्चों को अकेला न छोड़े, उन्हें वक्त दें और उनसे बातें करें।
— उनकी दिलचस्पी जानने की कोशिश करें, उस अनुसार चीजें उपलब्ध कराएं।
— बच्चों को बुक्स पढ़ना और घर के बाहर खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।
— खाली समय में बच्चों को चित्रकारी, नृत्य, संगीत सिखाएं।
चिकित्सकों की जुबानी…
पिछले महीनों में 50 से अधिक ऐेसे मामले आए हैं। जिनमें बच्चों को मोबाइल से परेशानी हुई। मोबाइल पर लगातार जुड़े रहने से बच्चों में खाने—पीने से संबंधित परेशानियां भी आई हैं।
— डॉ. शंकर प्रजापति, शिशु रोग विशेषज्ञ, चाकसू राजकीय सैटेलाइट अस्पताल
मोबाइल के लगातार उपयोग से बालकों में चिड़चिड़ापन, भूख नहीं लगने, सिर दर्द की शिकायते आ रहती हैं। मोबाइल नहीं देने पर बच्चे रोने लग जाते हैं। अस्पताल में लगातार ऐसे अभिभावक आ रहे हैं। सौ से अधिक मामले आ चुके हैं।
— डॉ. मनफूल चौधरी, शिशु रोग विशेषज्ञ, बीडीएम अस्पताल कोटपूतली।
— डॉ. करन सिंह शेखावत, चिकित्सक, सीएचसी जोबनेर
–डॉ. महेन्द्र पलसानिया, शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ, राजकीय अस्पताल शाहपुरा
चौमूं : 800
कोटपूतली : 100
चाकसू : 50
तूंगा : 15
शाहपुरा : 20
जोबनेर : 12
तूंगा : 15
— चिकित्सकों के बताए अनुसार