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बगरू

जहरीला पानी ले रहा जान

विश्व पर्यावरण दिवस विशेष

बगरूJun 04, 2018 / 10:47 pm

Ramakant dadhich

jaipur rural news

जहरीला पानी ले रहा जान

सिंवार मोड़. सिंवार मोड़-बिंदायका रीको इण्डस्ट्रीज एरिया में कई फैक्ट्रियों से निकलने वाला हानिकारक दूषित पानी और काला धुआं लोगों को दमा व अस्थमा की बीमारी बांट रहा है। इस धुएं ने आसपास के घरों की दीवारों का काला कर दिया है। इतना ही नही लोगों ने घरों की छतों पर कपड़े सुखाने तक बंद कर दिए हैं।
राजेश कुमार मीना ने बताया कि कुछ फैक्ट्री मालिक मीणों की ढाणी के पास प्राचीन तलाई में ‘जहरीला पानी’ छोड़ रहे हैं, जिससे तलाई में एक दर्जन से अधिक हरे पेड़ सूख गए। तलाई मेें भरा दूषित पानी व जहरीले पानी से जले हरे पेड़ों को छिपाने व ग्रामीणों की नजर नहीं पड़े इसके लिए रीको प्रशासन ने तलाई के चारों ऊंची बाउण्ड्री करवा दी। कई फैक्ट्रियों में चिमनियां लगी हंै जिनको रात्रि दस बाद चालू करते हैं।
इससे रात के समय धुंआ का धीमा जहर पर्यावरण में घुलकर लोगों को सांस की बीमारी बांट रहा है। वहीं चर्म रोग, दमा, फोड़े, एलर्जी की बीमारी से भी लोग पीडि़त हो रहे हैं। दूसरी ओर फैक्ट्री मालिक गांधी एन्कलेव आवासीय कॉलोनी में खाली प्लॉटों में प्लास्टिक कचरा डालकर उसमें आग लगा देते हैं इससे उठने वाले धुंआ से भी लोग परेशान हैं। लोगों ने ज्ञापन भेजकर समस्या के बारे अवगत करवाया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुए है।
इधर, नर्सरी को उजाड़ा
महला. झाग ग्राम पंचायत क्षेत्र में बांडी नदी के निकट वर्ष 1994में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वृक्ष उत्पादक सहकारी समिति की आंर से 108भूमि में नर्सरी लगाई गई थी। लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते कुछ लोग नर्सरी में लगे पेड़ों को काटकर जमीन समतल कर इस पर खेती करने की तैयारियों में लगे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी नर्सरी में 108 बीघा भूमि में नीम, अरडू, शीशम, बबूल, बिलायती बबूल सहित 27395 पेड़ लगाए गए थे। जानकारों ने बताया कि वर्ष 1994 में वृक्ष उत्पादक सहकारी समिति ने नर्सरी का विकास कर ग्राम पंचायत के सौंप दिया था। इसके बाद ग्राम पंचायत प्रशासन ने नर्सरी की सुरक्षा के लिए चौकीदार भी नियुक्त किया था, लेकिन वर्ष 2016 में चौकीदार को हटाने के बाद कुछ लोगों की नजर नर्सरी को उजाडऩे में लग गई। ग्रामीणों ने कई बार राजस्व विभाग सहित अन्य अधिकारियों को इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते नर्सरी चौपट होती जा रही है।
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