यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गए ङ्क्षहगोनियां क्षेत्र के विद्यार्थियों ने मोबाइल पर बताया कि रूस के हमले के बाद जहां वो 2 दिन तक यूनिवर्सिटी के तहखाने में जान बचाने के लिए छुपे रहे। जहां उनको खाना भी मुश्किल से नसीब हुआ। अब वहां विद्यार्थियों के लिए मात्र एक-दो दिन का खाना ही बचा है।
ङ्क्षहगोनियां निवासी जीतू ढाका ने बताया कि यूक्रेन में पढऩे वाले यहां के विद्यार्थियों ने जब रूस ने वहां हमले की चेतावनी दी थी तब से ही भारतीय दूतावास को अवगत करवा दिया गया था। अब रूस के हमले के बाद इन विद्यार्थियों के लिए संकट पैदा हो गया। हालांकि यूक्रेन के कई इलाकों से भारतीय छात्रों को एयरलिफ्ट करने का कार्य शुरू हो चुका है। उम्मीद है संकट से जल्द मुक्ति मिलेगी।
ङ्क्षहगोनियां गांव निवासी हनुमान सहाय ढाका, पोखर मल आदि यूक्रेन में पढ़ाई के लिए गए अपने लाडलों की ङ्क्षजदगी को लेकर बहुत ङ्क्षचतित हैं। परिजन हनुमान सहाय ढाका ने बताया कि सरकार अपने स्तर पर वहां फंसे क्षेत्र के विद्यार्थियों को निकालने पर ध्यान दे । उनका पूरा परिवार भगवान से यह प्रार्थना कर रहा है कि कैसे भी ये विद्यार्थी देश सुरक्षित पहुंच जाएं।
यूक्रेन से एमबीबीएस करने गए क्षेत्र के विद्यार्थियों की ङ्क्षजदगी भी अब दांव पर लग गई है और अब उनका शैक्षणिक भविष्य और डॉक्टर बनने का सपना फिलहाल खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। कई विद्यार्थियों की तो एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी होने वाली थी तो कई विद्यार्थी अभी प्रथम वर्ष व दूसरे वर्ष में अध्यनरत थे।
यूक्रेन से रोमानिया जा रहे यहां के विद्यार्थियों ने बताया कि वे खतरे पर खेलकर अपने जोखिम पर ङ्क्षजदगी बचाने के लिए रोमानिया जा रहे हैं, लेकिन वहां पहले से ही यूक्रेन के हजारों लोग शरणार्थी के रूप में पहुंच चुके हैं। ऐसे में भारतीयों के लिए वहां भी बड़ी समस्या पैदा होने वाली है।