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दिन-रात की भागदौड़ का मकसद कोरोना को हराना

उपखंड अधिकारी चौमूं एवं इंसीडेंट कमांडर हिम्मत सिंह ने बताए अनछुए पहलू, दो महीने हो चुके हैं लॉकडाउन को

बगरूMay 29, 2020 / 08:13 pm

Dinesh

दिन-रात की भागदौड़ का मकसद कोरोना को हराना

दिन-रात की भागदौड़ का मकसद कोरोना को हराना

चौमू (जयपुर). कोरोना महामारी के प्रभावी नियंत्रण एवं कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में उपखंड प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी कोरोना योद्धा के तौर पर पिछले दो महीने से जुटे हुए हैं। दिन-रात भागदौड़ करने का मकसद सिर्फ इतना सा, कि कोरोना को हराना है। राहत की बात ये है कि चौमूं शहर में एक भी कोरोना पॉजिटिव नहीं मिला। ग्रामीण क्षेत्र में कुछेक मिले तो तुरंत प्रभावी कार्यवाही करवाकर स्थिति को काबू में किया। विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे उपखंड अधिकारी व इंसीडेंट कमांडर हिम्मत सिंह ने बताए कुछ अनछुए पहलू। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश-
सवाल- कोरोना महामारी में उपखंड प्रशासन की भूमिका क्या रही?

जवाब- कोरोना महामारी चौमूं उपखंड क्षेत्र में नहीं फैले। इसके लिए चिकित्सा विभाग, नगरपालिका, ग्राम पंचायतों, पुलिस विभाग, शिक्षा विभाग, राजस्व विभाग समेत संबंधित विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों को जरूरत के हिसाब से जिम्मेदारी दी गई। विभिन्न समितियों का गठन किया गया। कमेटियों की बैठक सुनिश्चित की गई। कमेटी औपचारिक नहीं बन जाएं। इसके लिए खुद आकस्मिक निरीक्षण करता हूं। कोशिश यही है कि संकट की इस घड़ी में काम करने वाले लोगों का मनोबल बनाए रखूं।
सवाल- लॉकडाउन में क्या चुनौतियां सामने आईं?

जवाब- लॉकडाउन के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी कि जरूरतमंद व असहाय व्यक्तियों को भोजन उपलब्ध करवाने की, लेकिन खुशी है कि उपखंड क्षेत्र के भामाशाहों के सहयोग से कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोया। नगरपालिका व ग्राम पंचायत क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों एवं भामाशाहों के सहयोग से राशन सामग्री के किट वितरित करवाए। दूसरी चुनौती सब्जी व अनाज मंडी चलाने की थी, कुछ परेशानी आईं, लेकिन पुलिस एवं अन्य विभागों के सहयोग से मंडियां चालू करवाई। गोविंदगढ़, कालाडेरा, हस्तेड़ा, ईटापा भोपजी, खेजरोली व चीथवाड़ी में अस्थायी फल-सब्जी क्रय-विक्रय केन्द्र बनाए। अब स्थिति सामान्य हो गई है। सभी विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों, भामाशाहों, जनप्रतिनिधियों एवं विभिन्न संस्थाओं का सहयोग भी प्रशंसनीय रहा है।
सवाल- प्रवासी श्रमिकों के लिए क्या किया?

जवाब- लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में बड़ी संख्या में चौमूं शहर समेत ग्रामीण क्षेत्र में बिहारी, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश समेत विभिन्न प्रांतों के फंसे मजदूरों को नगरपालिका, ग्राम पंचायतों, भामाशाहों व सरकार के सहयोग से राशन सामग्री उपलब्ध करवाई। जिले की सीमा सील होने पर सड़कों पर पैदल यात्रा करने वाले श्रमिकों को होम शेल्टरों में रखा गया। जब मुख्यमंत्री ने श्रमिकों को उनके प्रांतों में भेजने की योजना तैयार की तो होम शेल्टरों के श्रमिकों को बसों से उनके प्रांतों में भेजा गया। अब भी प्रवासी श्रमिकों को भेजने का काम चल रहा है। बाहर से आने वाले लोगों को होम आइसोलेशन व होम क्वारंटीन करवा रहे हैं।
सवाल- आपकी दिनचर्या किस तरह की है?

जवाब- सुबह 4.30 बजे उठकर एक घंटे तक योग-व्यायाम करता हूं। इससे इम्यूनिटी पावर बनी रहती है। दैनिक नित्यकर्मों के बाद दिनभर की कार्ययोजना तैयार करता हूं। कार्यालय संबंधी एवं कोरोना से जुड़े कार्यों को प्रमुखता से सम्पादित करना। फील्ड में जाकर व्यवस्थाओं की हकीकत पता करता हूं। कोशिश रहती है कि कोई भी कार्य लम्बित नहीं रहे।
सवाल- आपने दो-ढाई महीने से अवकाश नहीं लिया?

जवाब- कोरोना संकट में अवकाश की कैसे सोच सकता हूं। मेरी जिम्मेदारी उपखंड के प्रति अधिक है। परिजनों से वीडियोकॉल या फोन पर बातें करके एक-दूसरे की कुशलक्षेम पूछ लेते हैं। कोशिश यही है कि किसी भी स्थिति में कोरोना महामारी यहां नहीं फैले। इसमें हम बड़े स्तर पर सफल भी रहे हैं। हाल ही में जरूर कुछ कोरोना संक्रमित आए हैं, लेकिन इनके स्वास्थ्य में सुधार है। चौमूं में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।

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