जयपुर. कोरोना संक्रमण से लगे लॉकडाउन ने लोगों की जिंदगी बदल कर रख दी है। ऐसे में अधिकांश ग्रामीणों को मानसिक तनाव से गुजरना पड़ रहा है। वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने दो महीने के लॉकडाउन में जिदंगी को व्यवस्थित और संयमित तरीके से जीना सीख लिया है। पुरानी बुरी लत को काफी हद तक छोड़ दिया है। इनमें से एक है जानलेवा तंबाकू के सेवन की आदत। दो महीने सरकार द्वारा तंबाकू पर प्रतिबंध के चलते ग्रामीण अंचल के कई युवा और बड़े-बुजुर्गों ने अब इससे दूरी बना ली है।
जानकारी के अनुसार लोग वर्षों से तंबाकू उत्पाद का सेवन कर रहे थे, तो कई लोग गुटखा खाने के आदि हो गए थे। वे चाहकर भी नहीं छोड़ पाते थे। लॉकडाउन में तंबाकू उत्पाद व गुटखा नहीं मिलने से पहले 15 दिन तो कभी खुद के पास से गुटखा व तंबाकू उत्पाद खाते रहते थे। इसके बाद जैसे जैसे लॉकडाउन बढ़ता गया, लोगों के पास भी ये खत्म होते हुए। फिर बाजार में नहीं मिलने से अधिक परेशानी खड़ी हो गई। इसके बाद एक पाउच ही 40 रुपए का मिलने लगा तो एक दिन पैसे नहीं होने से खींच खाकर गुटखा व तंबाकू उत्पाद छोड़ दिया।
पेट साफ करने के लिए जतनलॉकडाउन में तंबाकू उत्पाद व गुटखा नहीं मिलने से इनका सेवन करने वाले कई लोगों की जिंदगी बदल कर रख दी। शुरुआत में उन्हें काफी परेशानी तो हुई, लेकिन बाद में सब सामान्य होने गला। लम्बे समय से सेवन कर रहे कई लोगों ने बताया कि गुटखा नहीं मिलता तो पेट भी साफ नहीं रहता था। एक माह तक शिकंजी, ईनो समेत कई चीजों का प्रयोग कर पेट साफ करने का जतन करने लगे। अब धीरे धीरे लट छूटने से पेट भी साफ रहने लगा। यदि लॉकडाउन नहीं होता तो वर्षों से पड़ी लत नहीं छूट पाती। अब कभी गुटखा नहीं खाने की सौंगध खा ली।
लगने लगी भूख, शरीर हुआ फुर्तिलागुटखा व बीडी छोडऩे के फायदे भी लोगों को मिलने लगे हैं। उन्होंने बताया कि अब पहले के मुकाबले भूख अच्छी लगती है। खाया पीया पच भी जाता है। भूख लगने से शरीर तंदुरुस्त सा महसूस होता है। पहले ऐसा नहीं था। अब तो शरीर फुर्तिला भी लगता है। गुटखा व तंबाकू खाने से नुकसान के अलावा कुछ नहीं था। बीमारी का घर था, लेकिन लग ने उन्हें आदतें बिगाड़ कर रख दिया।
शरीर स्वस्थ, परिजन भी खुशतम्बाकू का सेवन करने वालों के परिजनों ने बताया कि वे गुटखा व बीडी को उठाकर भी रख लेते, लेकिन लत ऐसी की परिजनों से झगड़ा तक कर लेते थे, फिर भी नहीं छूट पाया। अब लॉकडाउन में तो आदत छूट गई। इससे सभी परिजन खुश है। पहले एक दिन में करीब 10 पाउच गुटखा व बीडी खा पी जाते थे। अब उनके बदले बच्चों को देते हैं, जिससे बच्चे भी खुश व शरीर भी स्वस्थ है।
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