जोबनेर (जयपुर). कस्बे में इन दिनों कोचिंग संस्थानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन इनमें से अधिकांश का पंजीकरण है न पालिका प्रशासन की एनओसी। ऐसे में ये संस्थान सरकार के लाखों रुपए के राजस्व की चपत लगा रहे हैं। जानकारी अनुसार 12वीं विज्ञान व कृषि विज्ञान वर्ग की परीक्षा समाप्त होते ही कस्बे में कोचिंग संस्थाओं का जाल बिछ गया और करीब तीन दर्जन से अधिक कोचिंग संस्थान खुल गए हैं। इनमें जेट सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयार करवाई जा रही है। पड़ताल में सामने आया कि इनमें से अधिकांश का तो पंजीकरण ही नहीं है। वहीं गलियों में खुले इन संस्थानों से स्थानीय लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां वाहनों की रेलमपेल से अधिकांश स्थानों पर ट्रेफिक जाम की समस्या का सामना करना पड़ रह है। निजी मकानों में हॉस्टल संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें रह रहे बाहरी विद्यार्थियों का सत्यापन भी नहीं करवाया गया है। दूसरी ओर जिम्मेदार पालिका प्रशासन भी बिना पंजीकरण के संस्थानों पर कार्रवाई नहीं कर रहा, इससे इनके हौसले बुलंद हैं।
इसलिए खुले हैं यहां कोचिंग संस्थानप्रदेश में कृषि शिक्षा के लिए पांच विश्वविधालय है इनमें श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विवि. जोबनेर, स्वामी केशवानन्द कृषि विवि.
बीकानेर , महाराणा प्रताप तकनीकि कृषि विवि.
उदयपुर , कृषि विवि.
कोटा व कृषि विवि. जोधपुर। इनमें लगभग छह हजार से अधिक सीटों पर प्रवेश के लिए परीक्षा का आयोजन होता है। श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विवि. के अधीन लगभग एक दर्जन महाविधालय हैं इनमें जोबनेर, लालसोट, फ तेहपुर व कुम्हेर संगठक महाविधालय हैं जिनमें जोबनेर में प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिए 120 सीटें, ए बी एम में 120, लालसोट, फतेहपुर व कुम्हेर में 180 सीटें हैं। इसके अलावा चिमनपुरा, उनियारा सरकारी महाविधालयों के अतिरिक्त अन्य निजी कृषि महाविधालयों में प्रवेश के लिए कुल 500 से अधिक सीटे हैं। जोबनेर कृषि शिक्षा का हब रहा है, ऐसे में अधिकतर विधार्थी यहां आते हैं।
ढाई हजार छात्र, दस हजार तक फीसभविष्य संवारने की उम्मीद में दूर-दूर से यहां छात्र पहुंचे हैं, जिनसे प्रत्येक से करीब 8-10 हजार रुपए फीस के रूप में वसूले गए हैं। कस्बे में संचालित इन कोचिंग संस्थानों में करीब 2500 हजार से अधिक छात्र हैं, लेकिन हॉस्टल के नाम पर निजी मकानों को किराए पर लेकर एक कमरे में ही करीब 8 से 10 छात्रों को रखा जा रहा है। इन हॉस्टल्स में छात्राएं भी हैं, लेकिन यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं।
पोस्टरों से अटी है दीवारेंनगरपालिका एक्ट के अनुसार सार्वजनिक दीवारों व निजी परिसरों पर कोई पोस्टर नहीं लगा सकता, लेकिन कस्बा पोस्टर-बैनर्स से अटा पड़ा है। लेकिन कस्बे में संचालित इन कोचिंग संस्थानों के खिलाफ पालिका की ओर से कार्रवाई नहीं की जा रही हैं।