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जौ की खरीद पर मनमानी का मोल

किसान और व्यापारी ने मंडी प्रशासन पर लगाया आरोप

बगरूApr 04, 2018 / 05:01 pm

Kashyap Avasthi

जौ की खरीद पर मनमानी का मोल
चौमूं (जयपुर). प्रदेश की ‘ए श्रेणी की कृषि उपज मंडी चौमूं में जौ की खरीद को लेकर मनमाने मोल का ‘खेलÓ सामने आ रहा है। यहां मंडी प्रशासन की मध्यस्था में प्रतिदिन की जाने वाली जौ की खरीद के लिए लगने वाली बोली पर किसान सवाल खड़ा कर रहे हैं। जौ बेचने आने वाले किसान खरीद की बोली में मंडी प्रशासन पर मनमानेपन का आरोप लगा रहे हैं। किसानों का कहना है कि मंडी प्रशासन 500 से 800 रुपए कम की बोली लगा रहा है, जिससे कास्तकार को नुकसान हो रहा है। वहीं उपज खरीदने वाले व्यापारी भी बोली पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। मंडी प्रशासन भी इसे किसान और खरीदार के बीच की मिलीभगत बता रहा है।
मंडी के कई किसानों ने बताया कि उन्हें जौ का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। उनकी उपज की बोली सही नहीं लगाई जा रही, इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है। टांकरडा से आए किसान अर्जुनलाल सैनी ने बताया कि आज जौ की बोली 1335 रुपए प्रति क्विंटल से शुरू हुई, जो बाद में 1245 तक आ गई। इससे मुझे नुकसान होगा। पहले 1300 रुपए की बोली लगाई और फिर उसे भी कैंसिल कर दिया। रामफूल, प्रहलाद, घनश्याम आदि कई किसानों ने भी बताया कि जौ की बोली में 500 से 800 रुपए कम लगाए जा रहे हैंं। इससे एक किसान को कम से कम 8 से 10 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। मंडी प्रशासन को किसानों को उनकी उपज का ज्यादा से ज्यादा मूल्य दिलवाना चाहिए, लेकिन यहां तो कम से कम मूल्य के प्रयास होते हैं। मंडी प्रशासन के सामने कम से कम मूल्य पर बोली शुरू होती है और वे कुछ नहीं बोलता।
न्याय की लगाई गुहार, तो पहुंचे प्रशासक
बोली का विवाद ये मंगलवार को सामने आया। जब एक व्यापारी ने मंडी प्रशासक (उपखंड अधिकारी) को फोन कर निलामी की बोली में गड़बड़ी को लेकर शिकायत की। व्यापारी ने लगभग 15 क्विंटल जौ की नीलामी को रुकवाने के लिए कहा, तो मंडी प्रशासन ने मना कर दिया। 47 नंबर दुकान पर आए व्यापारी ने उपखंड अधिकारी को बताया कि मंडी प्रशासन मनमाना रवैया अपनाते हुए बोली में गड़बड़ कर रहा है। व्यापारी श्रवण बागड़ा ने बताया कि मंडी प्रशासन ने मेरी बिना अनुमति के बोली फाइनल कर दी। फिर जब इसे कैंसिल करवाने के लिए कहा, तो जवाब मिला कि यहां तो ऐसे ही काम होगा। लेना हो तो लो। बागड़ा ने बताया कि मेरी अनुपस्थिति में बोली लगा दी और माल थोप दिया।
अब कहां ले जाऊं अपनी उपज
व्यापारी के माल लेने से मना करने के बाद किसान भी परेशान हो गया। किसान ने कहा कि पहले तो मंडी प्रशासन ने बोली लगवा दी और अब व्यापारी ने इसे कैंसिल कर दिया, अब ये उपज कहां लेकर जाऊं। टांकरडा के किसान अर्जुन ने कहा कि आज माल नहीं तुलेगा, तो क्या इसे वापस ने जाऊं। हम छह महीने मेहनत करते फसल तैयार करते हैं और यहां इसकी इस तरह बेकद्री होती है। अर्जुन ने बताया कि मेरे पास 15 क्विंटल जौ है और इसे सही मूल्य नहीं मिला, तो मुझे काफी नुकसान होगा। अन्य कई किसानों ने भी कहा कि मंडी प्रशासन औने-पौने मूल्य पर जौ बिकवा देता है। जौ की कम से कम 4000 रुपए मूल्य बोली लगनी चाहिए, लेकिन यहां तो मामला नीचे ही रह जाता है। किसानों ने कहा कि मंडी प्रशासन को सोचना चाहिए कि ये कोई फल-सब्जी तो है नहीं, जिसे आज ही बिकवाना जरूरी है। यदि आज भाव कम मिल रहा है, तो उसे कल भी बेच सकते हैं। मगर अपना काम निपटाने के लिए यहां किसानों की उपज को किसी भी मूल्य में बिकता दिया जाता है।
सरकारी निर्देशों की पालना के निर्देश
हुआ यूे कि टांकरडा से आए एक किसान की जौ की फसल की नीलामी हो गई। माल तुलाई भी शुरू हो गई। तभी बालाजी फर्म के व्यापारी ने कहा कि इस बोली से मैं सहमत नहीं हूं। इसे कैंसिल करें। लेकिन मंडी प्रशासन ने इसे कैंसिल नहीं किया और मामला उपखंड अधिकारी तक जा पहुंचा। इसकी माल की बोली १३२५ रुपए लगी थी, जिस पर व्यापारी राजी नहीं था। जौ की खरीद को लेकर मिल रही शिकायतों की जांच के लिए मंडी प्रशासक (उपखंड अधिकारी) खुद कृषि मंडी परिसर पहुंचे। उनके वहां पहुंचते ही मंडी सचिव और दूसरे कार्मचारी भी आ गए। किसान और व्यापारी भी काफी संख्या में एकत्रित हो गए। मंडी के कर्मचारी ने बताया कि इस उपज के लिए व्यापारी का मुनीम मौके पर था। उन्हीं की रजामंदी पर बोली फाइनल हुई है। ऐसे में व्यापारी ने कहा कि मंडी प्रशासन जबरन मुनीम का नाम लेकर माल थोप रहा है। यह बोली किसी दूसरी फर्म के नाम पर छूटी है, जिसे मेरे नाम पर किया जा रहा है।
जमा हुए काफी किसान
उपखंड अधिकारी के वहां पहुंचते ही काफी संख्या में किसान और व्यापारी एकत्रित हो गए। सभी मंडी की अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायत करने लगे। किसी ने कार्यालय समय के बाद मंडी में आने वाले उपज से लदे वाहनों को रोकने की शिकायत की, तो किसी ने कर्मचारियों के व्यवहार को लेकर आपत्ति दज करवाई। कई व्यापारियों ने कहा कि मंडी के गेट पर बैठने वाले कर्मचारी शराब पीकर ड्यूटी करते हैं। फिर रसीद और दूसरी औपचारिकताओं में वाहनो को बाहर ही रोके रखते हैं। इसके अलावा किसानों ने भी कहा कि मंडी प्रशासन की कई व्यवस्थाएं उनके लिए परेशानी खड़ी कर रही है। ऐसे में उपखंड अधिकारी ने सरकारी दिशा-निर्देशों से कार्य करने की हिदायत दी और मंडी सचिव को जरूरी दिशा-निर्देश दिए।

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