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बहराइच

बढ़ा बाढ़ का खतरा, आपदा प्रभावित लोगों के लिए हुई रहने की व्यवस्था

बाढ़ की त्रासदी से आसपास के इलाकों की सुरक्षा के मकशद से बनाये गए तट बन्धों पर कटान का खतरा मंडरा रहा है

बहराइचAug 04, 2018 / 01:11 pm

Mahendra Pratap

rain

बढ़ा बाढ़ का खतरा, आपदा प्रभावित लोगों के लिए हुई रहने की व्यवस्था

बहरइच. नेपाल के पहाड़ों पर हो रही मूसलाधार बारिश से सीमावर्ती जिले बहराइच में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। विभिन्न बैराजों से क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद तराई के जिलों के हालात और बदतर होने लगे हैं। बाढ़ की त्रासदी से आसपास के इलाकों की सुरक्षा के मकशद से बनाये गए तट बन्धों पर कटान का खतरा मंडरा रहा है। वहीं बेलहा बेहरौली तटबंध में शिवपुर ब्लॉक के नरोत्त्मपुर के पास कटान का सिलसिला बड़ी तेजी के साथ हो रहा है।
तमाम स्कूलों में बाढ़ से पानी भर जाने के कारण स्कूल बंद किए गए। महसी तहसील गोलागंज, प्रधानपुरवा, गड़रियन पुरवा, दुईजीपुरवा, चमारनपुरवा, गौड़िहा, सैयदनगर, बौंडी, भूखनपुरवा, बेलामकन, खगईपुरवा, माफी, मांझा दरिया बुर्द समेत 50 गांव कटान से बाढ़ से प्रभावित है। इन गांवों में गोलागंज और दुईजीपुरवा के पास कटान तेज है। तकरीबन 45 बीघा कृषि योग्य जमीन नदी की धारा में समा गई।
बहराइच के अपर जिलाधिकारी रामसुरेश वर्मा ने बताया कि गुरूवार को अलग-अलग बैराजों से करीब 255709 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। गिरजापुरी बैराज (घाघरा) से 107287 क्यूसेक, गोपिया बैराज (सरयू) से 12465 क्यूसेक, शारदा बैराज (शारदा) से 84285 क्यूसेक व बनबसा बैराज से 51672 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि बाढ़ के संभावित खतरे से निपटने की तैयारियां कर ली गई है।
मिहींपुरवा ब्लॉक के नेपाल सीमा से लगे लौकाही गांव के मजरा भादापुरवा के सरयू नदी की चपेट में आने से भादापुरवा के सभी सम्पर्क मार्गो पर पानी बह रहा है। जिसके वजह से भादापुरवा का सम्पर्क तहसील क्षेत्र से कट गया है। करीब बीस परिवार टापू बने भादापुरवा में फंसे है। एसडीएम मिहींपुरवा केपी भारती ने बताया कि लौकाही मे बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आपदा प्रभावित लोगो के रहने की व्यवस्था की गई है। भादापुरवा में फंसे लोगों को पीएचसी लौकाही लाकर उनके खाना पानी व ठहराव करवाया जा रहा है।
बाढ़ राहत कैम्पों के प्रबंधन के सम्बन्ध में जारी शासनादेश में कहा गया है कि कैम्प के संचालन के लिए ऐसे स्थल का चयन किया जाए, जो कि आवागमन की दृष्टि से सुगम, बाढ़ क्षेत्र से बाहर एवं ऊंचाई पर स्थित हो। बच्चों एवं वृद्ध के भोजन में केला, दूध, बिस्किट, सत्तू, दलिया जैसी खाने की चीजों को सम्मिलित किया जाए। डीएम माला श्रीवास्तव ने सम्बन्धित खण्ड विकास अधिकारियों को निर्देश दिया कि एसडीएम के साथ शासन द्वारा दी गयी व्यवस्था के अनुरूप उचित स्थल का चयन कर बाढ़ राहत कैम्प का संचालन सुनिश्चित करायें।

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