भारतीय जनता पार्टी महाराजा सुहेलदेव के नाम पर सिर्फ राजनीति कर रही है। जब ओम प्रकाश राजभर मंत्रिमंडल में थे, उन्होंने ही चित्तौरा के विकास के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था। मेरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि चित्तौरा ही नहीं, सुहेलदेव के नाम पर जितने भी स्थान हैं, 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सबका विकास कराए।- अरुण कुमार राजभर, राष्ट्रीय महासचिव, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी
इतिहासकारों के मुताबिक, श्रावस्ती नरेश राजा प्रसेनजित ने यूपी में बहराइच राज्य की स्थापना की थी। इसका प्रारंभिक नाम भरवाइच था। इन्हीं महाराजा प्रसेनजित के पुत्र थे सुहेलदेव। अवध गजेटियर के अनुसार इनका शासन काल 1027 ई. से 1077 तक था। वे पासी जाति के थे। सुहेलदेव का साम्राज्य गोरखपुर से सीतापुर तक फैला हुआ था। गोंडा, बहराइच, लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव व लखीमपुर इस राज्य की सीमा में आते थे। इन सभी जिलों में राजा सुहेल देव के सहयोगी करीब 21 पासी राजा राज्य करते थे। इसी काल क्रम में महमूद गजनवी ने भारत में अनेक राज्यों को लूटा तथा सोमनाथ सहित अनेक मंदिरों का विध्वंस किया। उसकी मृत्यु के बाद उसका बहनोई सालार साहू अपने पुत्र सालार मसूद, सैयद हुसेन गाजी, सैयद हुसेन खातिम जैसे कई अन्य साथियों को लेकर भारत आया। उसने बाराबंकी के सतरिख (सप्तऋषि आश्रम) पर कब्जा कर वहां अपनी छावनी बनायी। मसूद अपने सैनिकों के साथ बहराइच पहुंचा। उसने यहां की बालार्क मंदिर को तोडऩे की कोशिश की। लेकिन तत्कालीन राजा सुहेलदेव ने उसकी सवा लाख सेनाओं के साथ कुटिला नदी के तट पर जमकर संघर्ष किया। यहां सुहेलदेव की सेना ने आततायी का सिर धड़ से अलग कर दिया। और हिंदू धर्म की रक्षा की।