श्रावस्ती जिले की साक्षरता दर अब तक 51.72 ही हो पाई है। इसमें से महिलाओं की स्थिति और भी भयावह है। उनकी साक्षरता प्रतिशत मात्र 43.89 ही है। जबकि पुरुष 59.55 प्रतिशत हैं। यह मात्र साक्षरता को दर्शाने वाला आंकड़ा है ना कि शिक्षा दर को। यही कारण है कि यहां के लोग बाल विवाह जैसे मुद्दों पर अंधेरे में हैं। खास तौर से पांच विकास खंडों के वह विकास खंड जो भारत नेपाल सीमा यानी कि तराई क्षेत्र कहे जाते हैं इसमें सिरसिया, जमुनहा व हरिहरपुर रानी प्रमुख है। यही वो इलाके भी हैं, जहां से बाल विवाह के मामले ज्यादा खुलकर सामने आए हैं।
देखा जाए तो एक वर्ष के अंदर इन इलाकों से केवल महिला सामाख्या को 84 स्थानों पर बाल विवाह होने की सूचना मिली। इसमें से 45 स्थानों पर बाल विवाह रोके भी गए। वही जिला प्रोबेशन द्वारा भी 3 स्थानों पर बाल विवाह रोके गए। ये वो आंकड़े हैं जो पुलिस या सामाजिक कार्यकर्ताओं की निगाह में आ गए। लेकिन जिले में 59 फीसदी बाल विवाह होने का आंकड़ा यूनिसेफ प्रस्तुत कर रहा है। ऐसे में देखा जाए तो मौजूदा समय मे ग्रामीण इलाकों में हर दूसरे घर की बेटी बाल वधू बन रही है।
इन आंकड़ों के बावजूद यह सामाजिक कलंक का मुद्दा कभी भी न तो चुनावी मुद्दा बना और न ही किसी मंच से इसके विरोध में आवाज ही उठी। ये भी बता दें कि जिले की कुल जनसंख्या 1373731 है। इसमें से 96. 54 प्रतिशत गांव की आबादी है।
इन्होंने बाल विवाह रोकने का किया प्रयास सिरसिया इलाके के फुलरहवा की रहने वाली सत्रह वर्षीय नंदनी अब किसी नाम की मोहताज नहीं है। उसका गांव के ही नहीं बल्कि आस पास के ग्रामीण भी उसकी इज्जत करते हैं। इसका कारण उसकी समझदारी ही नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका है। नंदिनी की चार बहन व एक भाई हैं। तीन बहनों का बाल विवाह हुआ था। इंटर मे पढ़ रही नंदिनी को जब इसकी कमियों का पता चला तब तक उसके पिता बाउर व माता गौरी देवी ने उसका भी बाल विवाह कराने के लिए शादी तय कर दी। लेकिन उसने पिता व अपनी मां को समझा कर स्वयं का बाल विवाह तो रुकवा लिया। लेकिन उसके सामने अभी और कठिनाइयां थी। उसके मौसा अपनी बेटी मनी का गउना कम उम्र में ही करने की तैयारी कर रहे थे। उनको भी समझा कर गउना तो रुकवा दिया। लेकिन यह समस्या एक दो की नहीं पूरे क्षेत्र की थी। इसकेे बाद उसने गांव की बेटी महिमा व किरन का कम उम्र में विवाह व गउना रुकवा कर यह संदेश दिया कि इससे होने वाले नुकसान की भरपाई जीवन देकर भी नहीं हो सकती। धीरे धीरे नंदिनी का प्रभाव क्षेत्र में इतना बढ़ा कि उसने दस किशोरियों का बाल विवाह रुकवा कर शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा। यही नही करीब 25 बच्चों की बाल मजदूरी छुड़वा कर उन्हें स्कूल पहुंचाया। आज टीकाकरण हो या अन्य सरकारी योजना बिना नंदिनी के सहयोग से गति नहीं पकड़ती।