वारासिवनी में 2.20 करोड़ की लागत से बनेगा 50 सीटर कन्या छात्रावास भवन
खनिज मंत्री ने छात्रावास निर्माण के लिए किया भूमिपूजन
वारासिवनी में 2.20 करोड़ की लागत से बनेगा 50 सीटर कन्या छात्रावास भवन
बालाघाट. देश के बड़े शहरों एवं महानगरों में शिक्षा की जैसी सुविधाए उपलब्ध है, वैसी ही तमाम सुविधाएं वारासिवनी के कालेज में भी उपलब्ध कराई जाएगी। वारासिवनी के कालेज को शिक्षा के मामले में एक नई पहचान दिलाने का प्रयास किया जाएगा। जिससे वारासिवनी क्षेत्र के विद्यार्थियों को अच्छी उच्च शिक्षा मिलेगी और वे इस क्षेत्र का नाम रोशन करने में सक्षम बनेंगें। यह बातें मप्र शासन के खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल ने शनिवार को वारासिवनी कालेज परिसर में 50 सीटर आदिवासी कन्या छात्रावास के भूमिपूजन समारोह को संबोधित करते हुए कही।
02 करोड़ 20 लाख 80 हजार की लागत से बनने पोस्ट मेट्रिक आदिवासी कन्या छात्रावास के भूमिपूजन कार्यक्रम में जिला पंचायत सदस्य मेघा बिसेन, प्राचार्य डॉ सरिता कोल्हेकर, विक्की एड़े, मिलिंद नगपुरे, आनंद बिसेन, संतोष आड़े, विनोद मिश्रा, संदीप मिश्रा, विनय सुराना, अमित येरपुड़े, जावेद अली, एसडीएम संदीप सिंह, आरके हनुमते, कालेज के शिक्षिक, शिक्षिकाएं व छात्र छात्राएं उपस्थित थी।
खनिज मंत्री जायसवाल ने कहा कि वारासिवनी कालेज की समस्याएं उनके संज्ञान में है। इस कालेज में एक हाल एवं 04 अतिरिक्त कक्ष निर्माण के लिए 70 लाख की राशि मंजूर कर दी गई है और यह काम शीघ्र ही प्रारंभ होगा। कालेज में जिन संकायों में एमएससी की कक्षाएं नहीं है, उन्हें चालू कराने का भी प्रयास किया जा रहा है।
08 माह में पूर्ण करें कार्य
खनिज मंत्री जायसवाल ने छात्रावास भवन की निर्माण एजेंसी के अधिकारियों से कहा कि वे छात्रावास का निर्माण कार्य 08 माह की समय सीमा में गुणवत्ता के साथ पूर्ण कराएं। इस छात्रावास के बनने से वारासिवनी के आसपास के क्षेत्रों की अनुसूचित जनजाति वर्ग की छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए आवास की सुविधा के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि वारासिवनी के कालेज परिसर में अनुसूचित जनजाति वर्ग की छात्राओं के लिए 2 करोड़ 20 लाख 80 हजार की लागत से 50 सीटर छात्रावास बनाया जाएगा। 1070 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनने वाले इस भवन के भूतल पर वार्डन कक्ष, डायनिंग हाल, शौचालय एवं 09 कक्ष बनाए जाएंगे। भवन के प्रथम तल पर 16 कक्ष बनाए जाएंगे। इस भवन के निर्माण के लिए 08 माह की समय सीमा तय की गई है।