और कितनी मौत के बाद जागेंगे बिजली अधिकारी
अप्रशिक्षित कर्मचारीमौत के बाद भी नहीं जाग रहा जिला प्रशासन बिना सुरक्षा कवच के खतरों से खेल रहे कर्मचारी
और कितनी मौत के बाद जागेंगे बिजली अधिकारी
बालाघाट. रामपायली के समीपस्थ ग्राम बेनी में १० फरवरी को ११ केव्ही लाइन बिजली पोल पर चढ़े व्यक्ति की करंट लगने से मौत हो गई थी। ऐसी घटनाओं के बाद भी बिजली विभाग और ठेकेदार सबक नहीं ले रहे हंै। अब भी शासकीय व अशासकीय विभागों में बिना सुरक्षा कवच के कर्मचारियों से खतरों का कार्य करवाया जा रहा है। वर्तमान में बिजली ठेकेदारों द्वारा पोल शिफ्टिंग, लाइन खींचने सहित बिजली खंबों का मरम्मतीकरण कार्य जोरों पर करवाया जा रहा है। इनमें अप्रशिक्षत युवाओं से बिना सुरक्षा संसाधन दिए कार्य करवाए जा रहे हैं।
इस मामले में ना तो जिला प्रशासन के अधिकारी गंभीर नजर आ रह है। ना ही बिजली विभाग और श्रम अधिकारी कोई प्रयास कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि सुरक्षा मानको को लेकर अधिकारी कितने गंभीर है। आखिर और कितनी मौतों के बाद अधिकारी सकारात्मक पहल करेंगे यह सवाल खड़े हो रहा है।
प्रशिक्षित अमले की कमी
जानकारी के अनुसार विद्युत विभाग के द्वारा ठेकेदारों से कराए जा रहे कार्य में लगे मजदूर व कर्मचारियों को कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया। सुरक्षा सामग्री व पर्याप्त संसाधन भी उपलब्ध नहीं कराए गए हंै। जबकि बिजली कार्य कराते समय कर्मचारियों को दस्ताने, चश्मा, क्षण और अन्य सुरक्षा से संबंधित संसाधन दिए जाते हैं।
हो चुकी है आधा दर्जन हुई मौत
सुरक्षा संसाधनों की कमी से होने वाले हादसों पर नजर डाले तो पिछले डेढ वर्षो में अब तक आधा दर्जन मौत हो चुकी है। इनमें बिजली विभाग के मामले अधिक है। १० फरवरी को बेनी में एक ठेका कर्मचारी की मौत हो गई थी, जो बिजली के तारों में भी लटका ही रह गया था। इसके पूर्व भटेरा चौकी में एक युवक की मौत का मामला भी खूब चर्चाओं में रहा। वहीं मुख्यालय से आठ किलों मीटर दूर लिंगा में ठेकेदार के पास कार्यरत लाईनमेन नवेगांव निवासी बिजली सुधार कार्य करते समय काल के गाल में समा गया था। रामपायली क्षेत्र के बिटोड़ी व वारासिवनी मुख्यालय में भी लाईनमेन की बिजली कार्य के दौरान करंट लगने से मौत हो चुकी है। इसके अलावा भी अन्य हादसों में मजदूरों की मौत हुई, लेकिन आज भी मजदूर बिना संसाधन के जोखिम का कार्य कर रहे हैं।
नहीं सुन रहा विभाग
मजदूरों के संघटन के नेताओं की माने तो कर्मचारियों द्वारा विभागीय अधिकारियों से जोखिम का कार्य करने के लिए सुरक्षा संसाधन मुहैया कराने की मांग हमेशा ही की जाती है। लेकिन इन मांगों को अधिकारियों द्वारा अनसुना किया जाता है। इसी तरह वर्तमान में कराए जा रहे बिजली सुधार कार्य और खंबे लगाने के कार्य में भी सुरक्षा संसाधनों की अनदेखी की जा रही है।
इनका कहना है।
किसी भी तरह के कर्मचारियों से काम कराने के लिए नियम कानून व प्रावधान बने हुए हंै। लेकिन शासन प्रशासन की गलत नीतियों के कारण उसका पालन नहीं किया जा रहा है। इसके लिए प्रशासन स्वयं जिम्मेदार है। हमारे द्वारा समय-समय पर आंदोलन व धरना प्रदर्शन कर कर्मचारियों को सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की जाती है।
इकबाल कुरैशी, श्रमिक मजदूर नेता
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