विधानसभा चुनाव-2018: विकास तो हुआ पर जनता की अपेक्षा से कम
रोजगार, बिजली, पानी और सड़क की समस्याओं का नहीं निकला हल
विधानसभा चुनाव-2018: विकास तो हुआ पर जनता की अपेक्षा से कम
बालाघाट. जिले की सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में पिछले पांच साल में कई समस्याओं का समाधान हुआ। कई समस्याएं आज भी समाधान की राह देख रही हैं। बैहर, परसवाड़ा और लांजी विधानसभा क्षेत्र के अधिकांश ग्राम जंगलों के बीच बसे हुए हैं। जिसके कारण इन क्षेत्रों में विकास तो हुआ है, लेकिन
उतना नहीं, जितना जनता ने अपेक्षा की थी।
वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बूथवार हुए मतदान पर गौर करें तो जिले के पांच बूथों में सबसे अधिक मत भाजपा को बालाघाट और वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र में मिले, जिसमें दो बूथ बालाघाट के मरेरा और पांडेवाड़ा है। जबकि वारासिवनी के तीन बूथ झाडग़ांव, सांवगी और वारासिवनी-22 है। इन बूथ क्षेत्रों पर गौर किया जाए तो मरेरा, पांडेवाड़ा क्षेत्र में बिजली, पानी और सड़क के लिए विकास कार्य हुए हैं, लेकिन इनमें से कुछ कार्य निर्माणाधीन हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में 102 गांवों के लिए सबसे बड़ी समूह पेयजल योजना का कार्य किया गया है, लेकिन वर्ष 2013 में क्षेत्रीय विधायक द्वारा किए शुगर कारखाना की स्थापना की घोषणा की गई थी, जो अभी तक स्थापित नहीं हो पाया है।
मेडिकल कॉलेज की स्थापना घोषणा तक ही सिमट कर रह गई है। वहीं वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र के झाडग़ांव, सांवगी और वारासिवनी मुख्यालय में विकास कार्य हुए है। हालांकि, वारासिवनी में कृषि कॉलेज खुल गया है। वारासिवनी मुख्यालय नगर पालिका होने और यहां पर कांग्रेस अध्यक्ष होने के कारण नगरीय क्षेत्र में विकास की काफी संभावनाएं अभी भी बनी हुई है। वहीं झाडग़ांव और सांवगी में बिजली, पानी और सड़क के लिए बड़ी संख्या में कार्य किए गए हैं।
इसी तरह वर्ष 2013 के विस चुनाव में कांग्रेस को बैहर, किरनापुर के दो-दो, परसवाड़ा के एक बूथ में सर्वाधिक मत मिले हैं, जिसमें बैहर के गिडोरी व मलिया मतदान केन्द्र शामिल हैं। जबकि किरनापुर का बटामा व वारा, परसवाड़ा का चनेवाड़ा बूथ शामिल है। यहां बैहर विधानसभा क्षेत्र के गिडोरी, मलिया केन्द्र में अब भी समस्याएं बनी हुई हंै। बिजली, सड़क और पानी के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता है। ऐसा ही हाल परसवाड़ा विस क्षेत्र के चनेवाड़ा का बना हुआ है। रोजगार, बिजली, पानी और सड़क की समस्याएं आज भी बनी हुई हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा चरमराई
हुई है।
अस्पतालों में डॉक्टर नहीं रहते हैं। इ-भुगतान की समस्या मुंह फाड़े खड़ी है। ग्रामीण अंचलों में नेटवर्क की समस्या होने के चलते लोगों को अपना भुगतान लेने के लिए शहरी क्षेत्र में आना पड़ता है।
इनका कहना है
कांग्रेस को जिन पांच बूथों में सर्वाधिक मत मिले हैं, वहां पर विधायकों द्वारा न ग्रामीणों की मांग पर न केवल विकास कार्य किए हैं। बल्कि अपनी सक्रियता पहले से और भी बढ़ाई है। गिडोरी, मलिया में विधायक द्वारा सभामंच, सीसी सड़क, हैंडपंप सहित अन्य कार्य करवाएं गए हैं। इसी तरह बटामा, वारा में सड़कों का निर्माण, सभामंच सहित अन्य कार्य करवाएंं गए हैं। चनेवाड़ा में भी सभा मंच, पक्की सड़क, नाली का निर्माण करवाया गया है। पेयजल के लिए हैंडपंप खनन के साथ-साथ पानी के टैंकर भी वितरित किए गए हैं। इन पांचों बूथ के अलावा अन्य बूथों में भी कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक मत मिलेंगे।
-विशाल बिसेन, जिला प्रवक्ता, जिला कांग्रेस कमेटी बालाघाट
भाजपा को जिन पांच बूथों में सर्वाधिक मत मिले हैं, वहां पर विकास कार्य तो किए गए हैं। साथ ही जनता की समस्याओं का भी त्वरित निराकरण किया गया है। इन बूथों में पार्टी कार्यकर्ता लगातार सक्रिय हैं। जो जनता की समस्या को सुनकर उनका निराकरण किए जाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। पार्टी ने मौजूदा समय में सभी बूथों में 11 से लेकर 20 सदस्यों की समिति बनाई है। हर बूथ में मंडल या जिला पदाधिकारी को जवाबदारी सौंपी है। पार्टी बूथ स्तर पर बेहतर कार्य करने के साथ-साथ विकास के विजन पर कार्य कर रही है। आगामी विधानसभा चुनाव में अन्य सभी बूथों में ज्यादा से ज्यादा वोट लेने का प्रयास किया जा रहा है।
-अभय कोचर, जिला मीडिया प्रभारी, भाजपा, बालाघाट
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