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बालाघाट

Construction Work-टांडा नदी के ब्रिज निर्माण कार्य पर लगा ब्रेक

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ राज्य की सीमा में बहने वाली टांडा नदी में ब्रिज के निर्माण कार्य पर ब्रेक लगा हुआ है। पिछले कई दिनों से ब्रिज का निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है। ठेकेदान ने निर्माण कार्य के लिए नींव रख दी है लेकिन उसके आगे का कार्य प्रगति नहीं ले पा रहा है। […]

बालाघाटMay 19, 2024 / 08:31 pm

Bhaneshwar sakure

ब्रिज निर्माण कार्य

टांडा नदी के ब्रिज निर्माण कार्य पर लगा ब्रेक

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ राज्य की सीमा में बहने वाली टांडा नदी में ब्रिज के निर्माण कार्य पर ब्रेक लगा हुआ है। पिछले कई दिनों से ब्रिज का निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है। ठेकेदान ने निर्माण कार्य के लिए नींव रख दी है लेकिन उसके आगे का कार्य प्रगति नहीं ले पा रहा है।
बालाघाट. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ राज्य की सीमा में बहने वाली टांडा नदी में ब्रिज के निर्माण कार्य पर ब्रेक लगा हुआ है। पिछले कई दिनों से ब्रिज का निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है। ठेकेदान ने निर्माण कार्य के लिए नींव रख दी है लेकिन उसके आगे का कार्य प्रगति नहीं ले पा रहा है। कभी मजदूरों की समस्या तो कभी तकनीकी कारणों से निर्माण कार्य बंद पड़ा हुआ है। आरसीपीएलडब्ल्यूए योजना के तहत यहां ब्रिज का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। मामला जिले के लांजी क्षेत्र के अतिनक्सल प्रभावित हर्राडीह-खमारडीह के समीप टाटीधार पर बहने वाली टांडा नदी के ब्रिज निर्माण का है।

आरसीपीएलडब्ल्यूए योजना के तहत हो रहा है ब्रिज का निर्माण कार्य

जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की आरसीपीएलडब्ल्यूए (रोड कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट ऑफ लेफ्ट विंग अफेक्टेड एरिया) योजना से इस पुल निर्माण को स्वीकृति मिली है। मध्यप्रदेश ग्रामीण सडक़ विकास प्राधिकरण परियोजना निर्माण एजेंसी हैं। इस ब्रिज का निर्माण कार्य 727.53 लाख रुपए की लागत से किया जाना है। विभाग ने निर्माण कार्य का ठेका रायपुर की एक कंपनी को दिया है। ठेकेदार ने 21 अगस्त 2023 से निर्माण कार्य प्रारंभ किया है। निर्माण कार्य प्रारंभ हुए करीब 9 माह बीतने लगे है लेकिन कार्य में आशातीत प्रगति नहीं है। इस निर्माण कार्य को दो वर्ष यानी 20 अगस्त 2025 तक पूरा किया जाना है। विदित हो कि वर्ष 2014 के पूर्व जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आइएपी (इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान) के तहत विकास कार्य कराए जा रहे थे। लेकिन वर्ष 2014 के बाद केन्द्र में सत्ता परिवर्तन होते ही आइएपी को बंद कर दिया गया। सत्तासीन केंद्र सरकार ने रोड कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट ऑफ लेफ्ट विंग अफेक्टेड एरिया योजना को लागू किया। जिसके तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य किया जा रहा है।

मजदूरों की समस्या

निर्माण कार्य स्थल पर मौजूद चौकीदार के अनुसार मौजूदा समय में तेंदूपत्ता तोड़ाई का कार्य जारी है। ऐसे में सभी मजदूर तेंदूपत्ता तोड़ाई करने चले गए हैं। जिसके चलते मजदूरों की समस्या बनी हुई है। वहीं कार्य स्थल पर जमीन में पत्थर भी लग गया है, जिसमें नोजल मशीन कार्य नहीं कर रही है। इन दोनों ही कारणों से ब्रिज का निर्माण कार्य अभी बंद पड़ा हुआ है।

पुल नहीं होने ग्रामीणों को होती है परेशानी

टांडा नदी में ब्रिज का निर्माण नहीं होने क्षेत्र के अनेक गांवों के ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानी होती है। खासतौर बारिश के दिनों में यह समस्या और गहरा जाती है। टांडा नदी में पानी होने की वजह से ग्रामीण आवागमन नहीं कर पाते हैं। ग्रामीणों के अनुसार उनके गांव से छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा जुड़ी हुई है। जबकि लांजी या बैहर मुख्यालय काफी दूर पड़ता है। ऐसे में वे अपने जरुरत की सामग्रियों को खरीदने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य के गांवों पर आश्रित रहते हैं। पुल और सडक़ का निर्माण होने से उन्हें आवागमन में सहुलियत होने लगेगी।

इन गांवों के ग्रामीण करते हंै आवागमन

लांजी क्षेत्र के अतिनक्सल प्रभावित ग्राम टाटीधार, लोझमा, गुड्डीदादर, टेमनी, सायर, संदूका, बकरकट्टा, केराडीह, हर्राडीह सहित अन्य ग्राम घने जंगलों के बीच बसे हुए हैं। इन गांवों तक पहुंचने के लिए पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है। गांव पहुंचने के लिए आवागमन के योग्य पक्के मार्ग नहीं है। जिसके कारण बारिश के दिनों ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि टांडा नदी छत्तीसगढ़ राज्य के कवर्धा बॉर्डर से जुड़ी हुई है। जिसके कारण अधिकांश ग्रामीण कवर्धा जिले के गांवों में अधिक आवागमन करते हैं।

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