जन्म के तुरंत बाद शिशु को स्तनपान कराना जरूरी
विश्व स्तनपान सप्ताह पर कार्यशाला का हुआ आयोजनस्तन कैंसर से बचाता है स्तनपान
जन्म के तुरंत बाद शिशु को स्तनपान कराना जरूरी
बालाघाट. आधुनिक होते समाज में पढ़ी लिखी महिलाएं भी प्रसव के बाद शिशु को स्तनपान कराना मुनासिब नहीं समझती है और शिशु को उसके अधिकार से वंचित कर उसे संक्रमण एवं बीमारियों के खतरे में डाल देती है। प्रसव के बाद शिुश के लिए मां का दूध सबसे जरूरी है। मां के दूध का कोई विकल्प नहीं है। प्रसव के एक घंटे के भीतर शिशु को मां को दूध पिलाया जाना चाहिए। इससे शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। शिशु को स्तनपान कराने के प्रति जागरूकता के लिए 02 अगस्त 19 को कलेक्ट्रेट कार्यालय में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
इस कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी लीना चौधरी, सहायक संचालक सशक्तिकरण अधिकारी वंदना धूमकेती, स्वस्थ्य भारत प्रेरक शिलांजनी भट्टाचार्य, क्विंटल फाउंडेशन के जिला समन्वयक अमरेश परिहार, शीतल मिश्रा, महिला चिकित्सक डॉ भावना चौरे, जिला अस्पताल की एफडी सुलक्षणा श्रीवास्तव, आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक एवं मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यशाला में स्तनपान से जुड़ी जनहित की रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी दी गई।
स्तनपान कराना जरूरी
कार्यशाला में बताया गया कि प्रसव के तत्काल बाद मां को शिशु को स्तनपान कराना शुरू कर देना चाहिए। प्रसव के बाद मां के दूध में मिलने वाला कोलेस्ट्रम शिशु के लिए जरूरी होता है। प्रसव होने के एक सप्ताह पहले से ही मां के दूध में कालेस्ट्रम बनने लगता है। नवजात बच्चे के लिए कोलेस्ट्रम एक प्रकार से काम्पेक्ट वैक्सीन की तरह से काम करता है। जन्म के तत्काल बाद शिशु को स्तनपान कराने से रक्तस्त्राव बंद हो जाता है। कोलेस्ट्रम एक तरह से शिशु के लिए प्रथम टीकाकरण की तरह होता है।
शिशु को घुट्टी, पानी, शहद आदि न पिलाएं
कार्यशाला में बताया गया कि जन्म के बाद बच्चे को कुछ लोग घुट्टी, शहद या पानी आदि पिलाते हैं, यह पूरी तरह से गलत है। शिशु को 6 माह तक केवल मां का दूध ही पीना है। कुछ महिलाएं शिशुओं को बोतल से दूध पिलाती है। यह पूरी तरह से गलत है। स्तनपान कराने से शिशु डायरिया,ं निमोनिया एवं संक्रमण से बचा रहता है।
स्तन केंसर से बचाता है स्तनपान
कार्यशाला में बताया गया कि पढ़ी लिखी आधुनिक महिलाएं अपना फिगर खराब होने के डर से शिशु को स्तनपान नहीं कराती है। जबकि यह पूरी तरह से गलत धारणा है। शिशु को स्तनपान कराने से माता को स्तन केंसर एवं गर्भाशय का केंसर नहीं होता है। माता जितने अधिक दिनों तक शिशु को स्तनपान कराएगी उसे स्तन कंेसर एवं गर्भाशय का केंसर होने का खतरा उतना ही कम होगा। विदेशों में स्तन केंसर के अधिक प्रकरण होने का कारण वहां की महिलाओं द्वारा स्तनपान नहीं कराना है।
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