बच्चे दूसरों के सहारे, डॉक्टर मां निभा रही अपना फर्ज
लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने महिला डॉक्टर उठा रहे दोहरी जिम्मेदारी
बच्चे दूसरों के सहारे, डॉक्टर मां निभा रही अपना फर्ज
बालाघाट. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की दो महिला आयुष चिकित्सक डॉ. धरती बिसेन और डॉ. प्रीति भंडारकर को कोरोना संक्रमण के दौरान दोहरी जिम्मेदारी उठाना पड़ रहा है। यह दोनों महिला चिकित्सक अपने छोटे बच्चों को घर पर ही किसी परिचित के सहारे छोड़कर सुबह से ही अपनी टीम के साथ गांवों में निकल जाती है। उनके द्वारा घर-घर जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच की जा रही है और उन्हें मास्क पहनने, फिजिकल डिस्टेसिंग का पालन करने की सलाह दी जाती है। काम के दौरान उन्हें भी अपने छोटे बच्चों की चिंता लगी रहती है। लेकिन यह दोनों महिला चिकित्सक कठिन परिस्थितियों में भी आम जन को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए जी जान से मेहनत कर रही है।
इसी तरह आरबीएसके की डॉ यशवंती धुर्वे, डॉ प्रियंका बाला ठाकुर, डॉ बीना वरकड़े और डॉ प्रगति सोनी की ड्यूटी बार्डर चेकपोस्ट और उससे लगे गावों पर है। कोरोना संक्रमण के इस कठिन दौर में इन महिला चिकित्सकों को अपने माता-पिता व परिजनों से मिलने का वक्त भी नहीं मिल पा रहा है। घर-परिवार से दूर अकेले रहने के बाद भी ये चेहरे पर मुस्कान लिए हर दिन सुबह अपने काम पर निकल जाती है। लॉकडाउन घोषित होने के बाद बार्डर चेक पोस्ट पर बड़ी संख्या में बाहर से मजदूरों के स्वास्थ्य परीक्षण और क्वॉरंटाइन के दौरान स्वास्थ्य परीक्षण में इन महिला चिकित्सकों को कड़ा परिश्रम करना पड़ रहा है।
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