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बालाघाट

हमें भी अपने घर पहुंचाए शासन प्रशासन

अम्बिकापुर में फसे जिले के मजदूरों को मदद की दरकार ना हो रही खाने की पर्याप्त व्यवस्था, न रहने का ठिकानालॉक डाउन के चलते अपने परिवार से मिलने बिलख रहे गरीब परिजन

बालाघाटMar 30, 2020 / 04:17 pm

mukesh yadav

हमें भी अपने घर पहुंचाए शासन प्रशासन

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बालाघाट. खंडरनुमा निर्माणाधीन भवन का आसरा, महज दो दिनों के लिए शेष राशन और परिवार से दूर रहने की विवशता व चिंता, यह हालात इन दिनों छत्तीसगढ़ राज्य के अम्बिकापुर में फसे जिले के तीन दर्जन से अधिक गरीब मजदूरों के बन रहे हैं। दरअसल जिले के खैरलांजी तहसील क्षेत्र के चिखलाबांध, किरनापुर के ग्राम रमगढ़ी और लवेरी के करीब ४० मजदूर इन दिनों लॉक डाउन चलते छत्तीसगढ़ राज्य के अम्बिकापुर ग्राम में फसे हुए हैं। जिनके द्वारा स्थानीय शासन प्रशासन से मदद की गुहार लगाई जा रही है। वहीं बालाघाट जिला प्रशासन और मप्र शासन से भी मदद की दरकार है।
इन मजदूरों के अनुसार वे छत्तीसगढ़ राज्य के अम्बीकापुर में प्रताप रोड पर चिखलाड़ी ग्राम के किनारे जहां आईटीआई बिल्डिंग का निर्माण कार्य चल रहा है उसमें कान्टेक्टर शिवशंकर तिवारी के साथ मजदूरी करने गए हुए थे। वर्तमान में कोरोना वायरस के कारण छत्तीसगढ़ राज्य में कफ्र्यू व लॉक डाउन कर दिया गया है। इस कारण वे गांव व निर्माणाधीन बिल्डिंग में ही कैद होकर रह गए हैं। उन्हें परिवार की चिंता सता रही है और राशन खत्म होने से एक समय भी पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा है। इन मजदूरों के अनुसार यदि शीघ्र ही उन्हें उनके गांव तक नहीं पहुंचाया गया तो उनके समक्ष हालात और विकट हो जाएंगे। उनके समक्ष भूखों मरने की नौबत आए जाएगी। उन्होंने छत्तीसगढ़ व मप्र शासन प्रशासन से मदद की गुहार लगाई कि उन्हें साधन मुहैया करावाकर गांव भिजवाने की व्यवस्था की जाए।
महज दो दिनों का शेष बचा राशन
मजदूरों के साथ गए कान्टेक्टर शिवशंकर तिवारी ने बताया कि कुछ दिनों तक का राशन उन्होंने ले लिया था। लेकिन करीब ४० मजदूर व उनके बच्चे हैं। ऐसे में १४ अप्रैल तक राशन पानी सभी लोगों को नहीं पुरने वाला है। वर्तमान में उनके पास सिर्फ दो दिनों का राशन ही शेष बचा है। ऐसे में एक समय वह भी आधा पेट भोजन मजदूरों को कराया जा रहा है। सभी को गांव पहुंचाने के साधन की तलाश की जा रही हैं। लेकिन कोई साधन मुहैया नहीं हो पा रहा है।
बच्चों की हो रही फजीहत
मजदूरों ने बताया कि उनके साथ तीन छोटे-छोटे दूध मुहे बच्चे भी है। मजदूर लोग तो जैसे -तैसे अपने आपको को आधा पेट भोजन कर समझा लेते हैं। लेकिन बच्चों की फजीहत हो गई है। उन्हें नित्य दूध व अन्य नास्ता नहीं मिलने से वे बहुत परेशान हो रहे हैं। ऐसे में उनकी सेहत पर भी प्रभाव पडऩे लगा है। मजदूरों ने समाज सेवियों और शासन से अपील की है कि उन पर नहीं तो उनके बच्चों पर रहम खाकर उन्हें सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाने की कृपा करें।
यह मजदूर फसे छग में
जानकारी के अनुसार छग के अम्बिकापुर में फंसे मजदूरों में देवराम रामजी, जयप्रकाश ताराचंद, अरविंद जयसिंह, चैनलाल रंगलाल, पीतम जयलाल, मुरली नारायण, नागेश ब्रजलाल, डिगेन्द्र प्रताप, संजय परदेशी, परदेशी सखाराम, संगीता संजय, सीमांगी संजय, सुंदरलाल हरीचंद, रामकली सुंदरलाल, सालीनी सुंदरलाल (०२), सुभम सुंदरलाल (०३), सुन्नूलाल धुर्वासिंह, राजकुमार सुखलाल, सुरेश सुखलाल सभी निवासी चिखलाबांध खैरलांजी के है। इसी तरह किरनापुर लवेरी के भोजलाल मेश्राम, अजय भोजलाल, बसंतीबाई भोजलाल, रेखा बाई, बबीता भोजलाल, राम भोजलाल, श्याम भोजलाल, शरद अजय (०२), बिहारी मोतीलाल, कविताबाई बिहारी, दिलीप सुखचंद, श्याम लेखराम, रमेश खेमचंद, नितेश पांडुरंग, टीकाराम व किरनापुर रमगढ़ी के लेखीराम ज्ञानीराम, डिलेन्द्र ज्ञानीराम, महेन्द्र धनीराम कुल ४० मजदूर शामिल है।
वर्सन
सभी मजदूरों को छत्तीसगढ़ शासन से गुहार लगाना चाहिए। वे यदि हमारे जिले की सीमा तक मजदूरों को छुड़वा देते हैं तो हम उन्हें उनके ग्राम तक जाने की अवश्य व्यवस्था बनावा देंगे।
उमराज सिंह वारले, तहसीलदार

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