बालाघाट

कमाल है: तीन देशों को हराकर भारत ने जीत ली गिल्ली डंडा की सीरीज

कमाल है: तीन देशों को हराकर भारत ने जीत ली गिल्ली डंडा की सीरीज

बालाघाटJan 12, 2019 / 05:04 pm

Manish Gite

Gillidanda

 

बालाघाट। भारत के युवा भी कमाल के हैं। हाल ही में नेपाल में हुई इंटरनेशनल स्पोर्ट्स काम्पीटिशन में तीन आदिवासी युवकों ने भारत के पारंपरिक और प्राचीन खेल की लाज रख ली। मोबाइल के जमाने में लुप्त हो रहे इस खेल में इन युवकों ने न सिर्फ तीन देशों को हरा दिया, बल्कि गोल्ड मेडल भी जीतकर ले आए।

यह तीनों युवा मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्र के हैं। तीनों ने नेपाल के काठमांडू में आयोजित अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया है। कड़े मुकाबले में इन्होने बांग्लादेश, भूटान और नेपाल को पराजित किया। इनकी जीत के बाद मध्यप्रदेश में खुशी की लहर दौड़ गई है।

 

भारत की तरफ से मध्यप्रदेश के बालाघाट के दो आदिवासी युवक और एक युवती ने टीम का प्रतिनिधित्व किया था। दिलचस्प बात यह भी है कि मोबाइल के जमाने में भी गिल्ली डंडा (टीम केट) ने अपनी पहचान बरकरार रखी है।
 

चार देशों के बीच हुई प्रतियोगिता
यह प्रतियोगिता बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और भारत के बीच पिछले दिनों हुआ था। इसमें भारत की तरफ से आदिवासी युवा विनय इडपाचे, सुंदरम धुर्वे और भावना गौतम भी शामिल हुए। यह तीनों ही बालाघाट जिले के बैहर और परसवाड़ा के हैं। इन्होंने विदेश में अपने देश को गोल्ड मेडल दिलाकर देश के साथ ही मध्यप्रदेश और आदिवासी समाज का नाम भी बढ़ाया है।


साथ लाए चमचमाती ट्रॉफी
काठमांडू में अपनी जीत का परचम लहराने वाले तीनों युवा खिलाड़ियों का वहां सम्मान किया गया, वहीं उन्हें चमचमते गोल्ड मेडल के साथ ही ट्रॉफी भी दी गई। वे मेडल और ट्रॉफी के साथ जब आदिवासी अंचल पहुंचे तो बालाघाट से लेकर उनके घर तक रैली निकाली गई। रैली परसवाड़ा बस स्टैंड से शुरू हुई। जगह-जगह रैली का स्वागत किया गया। विजेता खिलाड़ियों को फूल-मालाओं से लाद दिया गया। रैली में युवा आदिवासी धुनों पर थिरकते हुए उत्साह दिखा रहे थे।

 

जनपद पंचायत ने की सराहना
जनपद पंचायत परसवाड़ा की जनपद अध्यक्ष सुशीला सरोते ने इस बारे में कहा कि बालाघाट के एक छोटे से गांव के युवाओं ने हमारे पारम्परिक खेल गिल्ली डंडा (टीप कैट) में तीन देशों को हराकर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता जीती है, जो खुशी का विषय है।


विजेताओं ने दिया अपने कोच को श्रेय
विजयी प्रतियोगी विनय इडपाचे ने अपनी जीत का श्रेय अपने कोच को दिया है। इस प्रतियोगी में शामिल हुई विजयी प्रतियोगी भावना गौतम ने कहा कि गिल्ली डंडा हमारा प्राचीन खेल है, जिसमें जिला स्तर से शुरू होकर राष्ट्रीय स्तर पर हमने मेहनत की। इसके बाद हम तीनों का चयन इंटरनेशनल के लिए हुआ था। हमारे सभी साथियों की मेहनत का ही नतीजा यह रहा कि हमें नेपाल में अपने ही पारंपरिक खेल में सफलता मिल सकी।

 

यह भी है खास
-यह सीरिज नेपाल के काठमांडू में 28 दिसंबर ससे 2 जनवरी तक चली।
-सरकार ने अन्य खेलों की तरह इस खेल को भी बढ़ावा देने के लिए खिलाड़ियों को सुविधाएं दी थीं।

-नेपाल में वॉलीबॉल को राष्ट्रीय खेल घोषित करने से पहले गिल्ली डंडा अघोषित रूप सेस राष्ट्रीय खेल माना जाता था।

 

GILLI DANDA

क्या है गिल्ली डंडा
गुल्ली डंडा या गिल्ली डंडा दोनों ही बोला जाता है। अंग्रेजी में इसे टीम केट कहा जाता है। भारत में यह प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है।
-इसे बेलनाकार लकड़ी के साथ खेला जाता है, इसकी लंबाई बेसबॉल अथवा क्रिकेट के बल्ले के बराबर हो सकती है।
-इसी प्रकार की बेलनाकार छोटी सी लकड़ी को गिल्ली कहा जाता है। यह गिल्ली दोनों किनारों से नुकीली या घिसी होती है।


मोबाइल के कारण लुप्त हो रही परंपरा
भारत में जिस तेजी के साथ बच्चों के हाथों में मोबाइल पहुंच गया है, उतनी ही तेजी के साथ गिल्ली डंडा जैसा खेल लुप्त हो रहा है। कुछ समय पहले तक बच्चे अक्सर ही इस खेल को खेलते हुए नजर आ जाते थे। क्योंकि इस खेल में कोई पैसा भी नहीं लगता था। क्योंकि इसमें दो से तीन फीट लंबी लकड़ी और एक गुल्ली ही लगती थी, जिसे कोई भी आसानी से बना सकता था।

 

इस खेल के हैं ये नियम
इसके लिए खेल के बेहद आसान से नियम भी होते हैं। पहले जमीन पर एक 2 इंच गहरा और 4 इंच लम्बा गड्ढा खोदा जाता है। एक खिलाड़ी उस गड्ढे पर गिल्ली को रखकर डंडे से जोर से दूर फेंकता है। दूसरा खिलाड़ी उसे लपकने के लिए तैयार रहता है। यदि वो खिलाड़ी गिल्ली को कैच कर लेता तो तो सामने वाला खिलाड़ी आउट हो जाता है।
-यदि गिल्ली जमीन पर गिर जाए तो खिलाड़ी उस गिल्ली को उठाकर डंडे से जोर से मारता है। गिल्ली बहुत दूर तक उछाल दी जाती है। फिर डंडे को उस गड्ढ़े पर रख दिया जाता है। अब दूसरी टीम को डंडे को निशाना बनाकर मारा जाता है, यदि गिल्ली को गड्ढ़े पर रखे डंडे पर निशाना साध दिया तो भी खिलाड़ी को आउट घोषित कर दिया जाता है।

-यदि नहीं लगे तो वो खिलाड़ी अपना डंडा लेकर गिल्ली के एक सिरे को डंडे से मारकर हवा में उछालता है फिर डंडे से शॉट लगा देता है। गिल्ली जितनी दूर जाती है, वहीं खेल में जीत जाता है। बाद में उस गिल्ली की दूरी को गड्ढे की दूरी तक डंडे की सहायता से ही नापा जाता है।

-कम अंक हासिल करने वाली टीम को शर्तों के मुताबिक मुक्के या धौल जमाए जाते हैं। यह खेल प्रति व्यक्ति अथवा टीम के साथ खेला जाता है। इसमें कोई हार पराजय की भावना नहीं होती है, जिसे हंसी-मजाक और खेल भावना के खेला जाता है।

-गिल्ली डंडा खेलने के लिए 2 , 4, 10 या इससे भी अधिक खिलाड़ी शामिल हो सकते हैं।

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