घरेलू हिंसा अधिनियम के बारे में दी जानकारी
तहसील विधिक सेवा समिति वारासिवनी द्वारा न्यायालय परिसर व्यवहार न्यायालय में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
घरेलू हिंसा अधिनियम के बारे में दी जानकारी
बालाघाट. तहसील विधिक सेवा समिति वारासिवनी द्वारा न्यायालय परिसर व्यवहार न्यायालय में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट गिरजेश सनोडिया प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
इस दौरान न्यायाधीश सनोडिया ने उपस्थितजनों को घरेलू हिंसा अधिनियम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि घरेलू हिंसा महज मारपीट ही नहीं होती चार तरह की होती है। जिसमें शारीरिक हिंसा, यौनिक या लैंगिक हिंसा, मौखिक और भावनात्मक हिंसा, आर्थिक हिंसा शामिल है। इसके अंतर्गत महज महिलाओं के साथ होने वाली मारपीट ही नहीं आती, खाना न देना, किसी से मिलने न देना, मायके वालों को ताना मारना, दहेज की मांग करना, चेहरे को लेकर ताना मारना, शक करना, घरेलू खर्च न देना सभी मामले घरेलू हिंसा में शामिल है। उन्होंने बताया कि इस तरह की समस्त हिंसाएं घरेलू हिंसा कानून 2005 के अंतर्गत आती है। जिसके तहत महिला जिले में तैनात सुरक्षा अधिकारी के पास आईपीसी की धारा 498 ए के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज करा सकती है। उन्होंने बताया कि घरेलू घटना रिपोर्ट को डीआईआर यानी डोमेस्टिक इंसीडेंट रिपोर्ट कहते है। जिसमें घरेलू हिंसा संबंधी प्रारंभिक जानकारी दर्ज कराई जाती है। हर जिले में सुरक्षा अधिकारी सरकार द्वारा नियुक्त होता है जो घरेलू हिंसा की रिपोर्ट दर्ज करता है। राज्य सरकार द्वारा हर राज्य के जिलों में स्वयं सेवी संस्था होती है जो सुरक्षा अधिकारी के पास रिपोर्ट दर्ज कराने में मदद करती है। घरेलू हिंसा अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य घरेलू रिश्तों में हिंसा झेल रही महिलाओं को तत्काल और आपातकालीन राहत पहुंचाना है।
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