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बालाघाट

जनता ने तय किए मुद्दे, डॉक्टरों की व्यवस्था, रोजगार के हो साधन

जनता ने तय किए मुद्दे, डॉक्टरों की व्यवस्था, रोजगार के हो साधन

बालाघाटOct 12, 2018 / 06:03 pm

Bhaneshwar sakure

balaghat news

जनता ने तय किए मुद्दे, डॉक्टरों की व्यवस्था, रोजगार के हो साधन

बालाघाट. पत्रिका समूह के जन एजेंडा 2018-23 के तहत हर विधानसभा क्षेत्र के लोगों, जन संगठनों और समूहों ने बैठक कर रोड मैप तैयार किया। क्षेत्र के विकास के मुद्दे तय किए।
क्या है विजन:- स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार के साधन हो सुलभ। नक्सल, पेयजल, परिवहन की समस्या का हो समाधान।
१.स्वास्थ्य सुविधा ग्रामीणों को नहीं मिल पा रही है। अस्पताल है पर डॉक्टरों की कमी है। लोग उपचार के लिए महाराष्ट्र या छत्तीसगढ़ राज्य में जाते है। खासतौर पर जंगलों में बसे ग्राम देवरबेली, सायर, संदुका, सुलसुली जैसे ऐसे अनेक आदिवासी ग्राम है, जहां के ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं बिल्कुल ही नहीं मिल पाती है।
२.रोजगार के साधन बिल्कुल भी नहीं है। दो राज्यों की सीमा से जुड़ा और वनसंपदा से भरपूर होने के बाद भी यहां कोई भी बड़ा उद्योग नहीं है। लोग रोजगार के लिए महानगरों की ओर जाते है।
३.क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में शिक्षा का स्तर काफी कमजोर है। ग्रामीण अंचलों में विद्यालय तो है पर शिक्षक नहीं होने के कारण बच्चों को नैतिक व व्यवहारिक शिक्षा नहीं मिल रही है
४. इस विस क्षेत्र के ग्रामीणों के पास कृषि भूमि तो है, लेकिन सिंचाई के साधन नहीं है। सिंचाई के लिए पानी नहीं होने से किसान फसलों का बेहतर उत्पादन नहीं ले पा रहे हैं।
५.बिजली कटौती की समस्या बरकरार है। देवरबेली, सुलसुली, नरपी, बरगुड़, हर्राडेही, मालकुंआ, सायर, संदुका सहित ऐसे अनेक ग्राम है, जहां बिजली की समस्या हर समय मुंह फाड़े रहती है।
६.पेयजल की समस्या पूरे क्षेत्र में बनी हुई है। वनांचल क्षेत्र में पेयजल योजना नहीं होने से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है। ग्रीष्म ऋतु में यह समस्या विकराल हो जाती है।
७.उद्योग धंधे की स्थापना नहीं हो पाई है। इस क्षेत्र में जंगलों से बांस, लकड़ी का दोहन तो होता है, लेकिन इससे जुड़ा उद्योग नहीं होने के कारण लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।
८.कानून व्यवस्था चरमराई हुई है। आदिवासियों पर अत्याचार किया जा रहा है। नक्सलियों का सहयोग करने के नाम पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे है, जिससे ग्रामीण काफी परेशान है।
९.बैगाओं को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बैगा बाहुल्य क्षेत्र होने के बाद भी इसे बैगा विकास प्राधिकरण में शामिल नहीं किया गया है। जिसके चलते केन्द्र की योजनाओं के लाभ से बैगा वंचित है
१०.परिवहन ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन की सुविधा अभी भी नहीं है। जबकि यह क्षेत्र दो राज्यों की सीमा से लगा हुआ है। शहरी क्षेत्र में ही आवागमन के साधन सुलभ है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं है।
संभावित दावेदार: हिना कावरे (कांग्रेस),
राजकुमार कर्राहे (भाजपा)
हीरालाल पांचे (गोंगपा)

किशोर समरिते (बसपा)
विधानसभा क्षेत्र: लांजी, जिला बालाघाट

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