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बालाघाट

बोनकट्टा तालाब गिन रहा अंतिम दिन

अतिक्रमण की चपेट में वर्षो से नहीं हुआ जीर्णोद्वार

बालाघाटNov 17, 2018 / 12:44 pm

mukesh yadav

talab news

बोनकट्टा तालाब गिन रहा अंतिम दिन

कटंगी। जनपद क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली तथा महाराष्ट्र सीमा पर स्थित ग्राम पंचायत बोनकट्टा का शासकीय तालाब इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसु बहा रहा है। बीते कई वर्षो से तालाब का जीर्णोद्वार नहीं हुआ है तथा लगातार बढ़ते अतिक्रमण से तालाब का आकार दिन-ब-दिन सिकुड़ते जा रहा है। फिलहाल यह तालाब अपने अंतिम दिन गिन रहा है। क्षेत्र के जागरूक युवा राजेश सांवलकर ने बताया की 100 साल से भी अधिक पुराने इस तालाब में बारिश के दिनों में मछली पालन किया जाता था। इसके अलावा ग्रामीण दैनिक उपयोग के लिए भी इस तालाब का पानी उपयोग करते हैं। वहीं मवेशियों के लिए भी तालाब पेयजल का स्रोत है, लेकिन गर्मी के दिनों में तालाब पूरी तरह से सूख जाता है। इस वजह से तालाब में मत्स्य पालन बंद हो चुका है।
ग्रामीणों का कहना है कि अब तक की जितनी भी सरकारें और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि रहे उन्होंने जल संरक्षण के लिए तालाबों के निर्माण तथा जीर्णोद्वार करने के बहुत से वादे किए। गांव-गांव में तालाबों का निर्माण भी किया गया। लेकिन बोनकट्टा के ह्दय 100 साल पुराने इस तालाब की किसी ने भी सुध नहीं ली। ग्रामीणों ने बताया कि इतना विशाल तालाब होने के बावजूद गर्मी के दिनों में गांव के मवेशी पानी को तरसते है। ग्रामीण राजेश भाउ कहते हंै कि कबीरदास जी ने कहा है कि ‘पानी केरा बुदबुदा ***** मानस की जातÓ जिसका तात्पर्य यह कि मनुष्य पानी का बुलबुला, फूंकना है, जिसका अस्तित्व पानी तक ही है। उन्होंने सृष्टि की उत्पत्ति ही जल से बताई है वह लिखते है, ‘जल में कुंभ, कुंभ में जल, जल जलहि समानाÓ फिर भी सरकार जल और इसके संरक्षण के महत्व को नहीं समझ पा रही है। जिसका खामियाजा गांवों की भोली-भाली जनता तथा मुक मवेशियों को भुगतान पड़ता है।
ग्रामीण मनोज मालाधरे, रामु ढेलकर, अरविंद देशमुख, गोपी ढेलकर, लहु मेश्राम, गुरूदेव पुष्पतोड़े, चिंतामन झोंडे ने बताया कि जिम्मेदारों से कई बार तालाब के जीर्णोद्वार एवं सौंदर्यीकरण कराने की मांग की गई है। इनका कहना है कि बोनकट्टा में तालाब की दुदर्शा का मुख्य कारण अतिक्रमण और गहरीकरण का अभाव हैं। गौरतलब हो कि हाईकोर्ट तथा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के स्पष्ट निर्देश है कि तालाबों के आसपास किसी भी प्रकार के अतिक्रमण ना किया जाए। मगर, ताजुब की बात यह है कि इस निर्देशों का पालन करने में विभागीय अधिकारी नाकाम रहे। जिसका परिणाम यह हुआ कि बोनकट्टा में स्थित विशाल तालाब भी अब पोखर बनते जा रहे हैं।

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