सेलवा दरगाह में दिखी कौमी एकता की मिशाल
मुंडाशाह के सजदे में झुके हजारों शीश
सेलवा दरगाह में दिखी कौमी एकता की मिशाल
बालाघाट/कटंगी. शहर के नजदीक सेलवा में हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिशाल हजरत बाबा दाता मुंडा शाह वली रहमतुल्ला अलैह की दरगाह में नजर आई। दरगाह में इस वर्ष भी सालाना उर्स शरीफ का आयोजन किया गया। 39 वें वार्षिक उर्स शरीफ में बोनकट्टा और यंग मुस्लिम कमेटी कटंगी की ओर से संदल निकाला गया। जिसने दरगाह पहुंचकर वली की मजार पर चादर पेश की। क्षेत्र और देश में अमन-चैन की दुआ मांगी। बोनकट्टा से शाही संदल सुबह करीब 11 बजे गांव का गश्त करने के बाद सेलवा दरगाह की तरफ आगे बढ़ा। जो शाम करीब 5 बजे कटंगी पहुंचा। यहां से शाम 7 बजे संदल दरगाह पहुंचा। जहां अकीकतमंदों ने मकरीब की चादर पेश की। इसके बाद यंग मुस्लिम कमेटी का शाही संदल बाजे-गाजे और डीजे के साथ दरगाह पहुंचा। उर्स के मौके पर दरगाह में हर धर्म और मजहब को मानने वाले अकीकतमंदों ने सजदा किया। मान्यता है कि सेलवा दरगाह में सभी की मांगी मुराद पुरी होती है। यही वजह है कि वली की दरगाह कौमी एकता की मिसाल हैं, जहां पर हर धर्म का व्यक्ति आस्था के साथ आता है और अपनी मुराद पूरी करके जाता है। यही वजह रही कि सुबह से ही दरगाह में जायरिनों ने पहुंचकर जियारत करनी शुरू कर दी थी।
उर्स शरीफ के मौके पर सार्वभौमिक प्रेम और कौमी एकता व सौहार्द की प्रतीक सेलवा दरगाह में तकरीर के बाद सलातो सलाम पढ़ा गया। जिसके बाद देश में अमन-चैन और भाईचारे की दुआ मांगी गई। उर्स के मुबारक मौके पर दरगाह में मुस्लिम अकीदतमंद के लिए पहुंचे तो हिन्दू भाई भी यहां जियारत करने के लिए आए। हर जायरीन अपने लिए कुछ न कुछ मांगने के साथ देश में अमन व खुशहाली की दुआ भी कर रहा था। उर्स के मुबारक मौके पर रात्रि में कव्वाली के प्रोग्राम का आयोजन हुआ। जिसमें कव्वालकार उस्ताद युसूफ फारुक साबरी और रईस मियां साबरी ने ख्वाजा की खिदमत में कव्वाली पेश की जिसने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। उर्स पर गोंदिया, भंडारा, नागपुर, बालाघाट, सिवनी सहित अन्य राज्यों और जिलों के लोग भी पहुुंचे। वहीं इस अवसर पर लंगर का भी आयोजन हुआ। जिसमें हजारों लोग ने हिस्सा लेकर लंगर ग्रहण किया।
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