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बालाघाट

नपा ना तो जल बचा पा रही है और ना ही जमीन

तालाबों के अस्तित्व पर संकट

बालाघाटMar 02, 2019 / 09:26 pm

mukesh yadav

talab

नपा ना तो जल बचा पा रही है और ना ही जमीन

कटंगी। नगर की संस्कृति, समृद्धि और पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक तालाबों के अस्तित्व पर बीते कुछ सालों से संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कभी मछली तथा सिंघाड़ा उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रहे नगर के तालाब अब अपनी बदहाली पर आंसु बहा रहे हैं। अभी ठीक से गर्मी का मौसम शुरू भी नहीं हुआ है कि इन तालाबों में पानी पूरी तरह से सूख चुका है, जो इनके अस्तित्व के संकट को साफ इंगित कर रहा है। मगर, जवाबदार इन तालाबों के जीर्णोद्धार पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिस नगर परिषद के पास इन तालाबों के संरक्षण की जवाबदारी है, वह इन तालाबों में बढ़ते अतिक्रमण को तक नहीं रोक पा रही है। इस कारण साल दर साल तालाबों का आकार सिकुड़ता जा रहा है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहर के इन तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए 2 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत करने की घोषणा की थी। मगर, नगर परिषद ने आज तक इस राशि को प्राप्त करने के लिए भी कोशिश नहीं की है। इस कारण तालाबों का दायरा सिमटता जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि शहर के बड़ा तालाब सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक कुल 37 एकड़ 46 डिस्मिल में फैला है, लेकिन बीते 1 दशक में इस तालाब के आस-पास बेजा अतिक्रमण हुआ है यह बात भी किसी से छिपी नहीं है। लेकिन विभाग ने कभी अतिक्रमण हटाने की कोई ठोस कार्रवाई आज तक नहीं की। वहीं जिन लोगों ने तालाब की भूमि पर अतिक्रमण किया। उन्होंने बड़ी ही चालाकी से सरकारी कर्मचारियों की मिली भगत से दस्तावेजों में हेर-फेर करवाकर तालाब की ही जमीन हड़प ली। यहीं हाल मुंदीवाड़ा रोड स्थित तालाब का भी है। वर्ष 2012 में स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजनान्तर्गत 16.05 लाख की लागत से इस तालाब के सौन्दर्यीकरण पर खर्च किए गए हैं। लेकिन तालाब आज भी बदसुरत ही है। नगर के जागरुकजनों द्वारा भी कई बार तालाबों के संरक्षण एवं सौन्दर्यीकरण का मुद्दा उठाया गया है। लेकिन शासन-प्रशासन ने तालाबों को कभी अपना मुद्दा समझा हीं नहीं।
एक करोड़ की मिली स्वीकृति
जानकारी अनुसार मप्र शासन से तालाबों के सौन्दर्यीकरण के लिए नगर परिषद को 1 करोड़ रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति करीब 7 महीने पहले ही मिल चुकी है। मगर, नपा ने अब तक अग्रिम कार्रवाई नहीं की है। सूत्रों के मुताबिक इस राशि से नगर परिषद् के अधीनस्थ छोटे तालाब का कायाकल्प होगा। चुकिं शहर का बड़ा तालाब जल संसाधन विभाग के अधीनस्थ है, जिसे नगर परिषद् को सौपनें की कागजी प्रक्रिया भी लंबित है। एनजीटी द्वारा तालाबों के संरक्षण किए जाने के आदेश के परिपेक्ष्य में प्रदेश शासन द्वारा कलेक्टरों को जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन करने का कहा था। इसके बावजूद प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है तथा तालाब नष्ट होने की कगार पर आ चुके है।
वर्सन
नगर के तालाबों के सौन्दर्यीकरण के लिए योजनाएं बनाई गई है। लेकिन वर्तमान समय तक राशि प्राप्त नहीं हो पाई है। राशि आने के बाद ही कार्य शुरू करवा दिए जाएंगे।
कीर्ति प्रकाश चौहान, उपयंत्री
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