कोरोना बीमारी में ऑक्सीजन की कमी और कमजोरी को दूर कर रही फिजियोथेरेपी
फिजियोथेरेपिस्ट डॉ तरूण विजयवार ने साझा किए अनुभवनगर के कई कोरोना पीढि़त ले रहे थेरेपी का लाभ
कोरोना बीमारी में ऑक्सीजन की कमी और कमजोरी को दूर कर रही फिजियोथेरेपी
बालाघाट। वैश्विक महामारी कोरोना ने आज पूरे विश्व को हलाकान कर दिया है। खासकर भारत में कोरोना की दूसरी लहर भयावह और जानलेवा साबित हो रही है। अप्रैल में दूसरी लहर से पूरा देश महामारी की भयावहता से जूझता चला आ रहा है। अधिकांश कोरोना से मौत मामले में कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की कमी एक बड़ी वजह रही है। आज भी ऑक्सीजन को लेकर स्थिति उतनी अच्छी नहीं है, जितना की सरकार दावे कर रही है। जबकि कोरोना प्रभावित मरीज के ऑक्सीजन लेवल कम होने के बाद उसे तत्काल ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही है, ताकि मरीज की जान बच सकें। हालांकि देश में बढ़ते कोरोना को लेकर सरकार, प्रशासन और समाजसेवियों की मदद से ऑक्सीजन संसाधन जुटाए जा रहे हैं। वहीं आयुर्वेदिक चिकित्सा कोरोना मरीजों में होने वाली ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के उपाय बता रहे हंै। वहीं फिजियोथेरेपी से भी कोरोना मरीजों में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने और कोरोना इलाज के दौरान दवाओं के उपयोग से आने वाली कमजोरी को दूर करने का दावा फिजियोथेरेपिस्ट डॉ तरूण विजयवार ने किया है।
उन्होंने फिजियोथेरेपी से कोरोना मरीजों को होने वाली ऑक्सीजन की कमी और कोरोना के ईलाज के दौरान दवाओं से होने वाली कमजोरी को दूर करने के दावो को लेकर अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी और कमजोरी को लेकर नगर के लगभग एक दर्जन से ज्यादा लोगों का फिजियोथेरेपी से उपचार किया है, जिसका लाभ उन्हें मिला है।
डॉ तरूण विजयवार ने बताया कि फिजियोथेरेपी के उपचार में की जाने वाली चेस्ट फिजियोथेरेपी में परकशन, वाईब्रेशन, क्लेपिंग और पोस्चरल ड्रेनेज के साथ-साथ डीप ब्रिधिंग एक्साईज और प्राणायाम के माध्यम से मरीज के शरीर में ऑक्सीजन लेवल बढ़ा सकते हंै। साथ ही कोरोना इलाज के दौरान उपयोग की जाने वाली जीवन रक्षक दवाओं से शरीर में होने वाली कमजोरी के लिए फिजियोथेरेपी में शारीरिक व्यायाम के माध्यम से मांस पेशियों की ताकत को बढ़ाया जाता है। उन्होंने विस्तृत रूप से कोरोना मरीज में ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाए जाने के लिए की जाने वाली चेस्ट फिजियोथेरेपी को लेकर बताया कि वाईब्रेशन और क्लेपिंग के माध्यम से मरीज के सांस लेने की क्षमता को बढ़ाया जाता है, जिसमें शरीर में सांस लेने में मदद करने वाली मांसपेशियों की ताकत बढ़ाई जाती है। ताकि फेफड़े फूलकर ऑक्सीजन ले सकें और फेफड़े में जमा बलगम बाहर आ सके। इसके अलावा मरीजों में ऑक्सीजन लेवल और फेफड़े में जमा बलगम को देखते हुए पोस्चरल ड्रेनेज स्थिति में चेस्ट फिजियोथेरेपी की जाती है, यदि मरीज का ऑक्सीजन और बलगम है तो उसे बैठालकर और यदि ज्यादा है तो उसे लिटाकर थेरेपी दी जाती है। इस उपचार के बाद मरीज को सांसो पर नियंत्रण के लिए डीप ब्रिधिंग एक्साईज, सेगमेंटल ब्रिधिंग एक्साईज और पर्सलिप ब्रिधिंग एक्साईज, इंसेटिव स्पाईरोमीटर कराई जाती है। ताकि वह सांस लेने की अपनी क्षमता को बढ़ा सकंे। फिजियोथेरेपिस्ट डॉ तरूण विजयवार ने बताया कि यदि फेफड़े से संबंधित बीमारी के दौरान या बाद, यदि मरीज फिजियोथेरेपी उपचार लेता है तो उसका अस्पताल में रूकने का समय कम हो सकता है।
श्रीवास्तव नर्सिंग होम के संचालक डॉ अभिनव श्रीवास्तव की मानें तो कोविड मरीजो के उपचार में फिजियोथेरेपी चिकित्सा एक वरदान के रूप में है। दवाओं के साथ ही फिजियोथेरेपी चिकित्सा ऑक्सीजन की कमी से जूझते मरीजों में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने में कारगर साबित हो रही है।
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