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बालाघाट

जनता ने तय किए मुद्दे, लोगों को मिले रोजगार

पत्रिका जन एजेंडा 2018-2023

बालाघाटOct 13, 2018 / 09:10 pm

Bhaneshwar sakure

balaghat news

जनता ने तय किए मुद्दे, लोगों को मिले रोजगार

बालाघाट. पत्रिका समूह के जन एजेंडा 2018-2023 के तहत हर विधानसभा क्षेत्र के लोगों, जन संगठनों और समूहों ने बैठक कर रोड मैप तैयार किया। क्षेत्र के विकास के मुद्दे तय किए।
क्या है विजन:-स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार के साधन हो सुलभ। नक्सल, पेयजल, परिवहन की समस्या का हो समाधान।
1.स्वास्थ्य सुविधाओं का ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल रहा है। सीएचसी परसवाड़ा में डॉक्टरों की कमी है। पीएचसीए उपस्वास्थ्य केन्द्रों में भी डॉक्टरों नहीं है। जो डॉक्टर पदस्थ है, वे समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं। ग्रामीणों को उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है।
2. परसवाड़ा क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक ग्रामों में नक्सल समस्या बनी हुई है। जंगलों में बसे होने के कारण इन ग्रामों में नक्सलियों का आवागमन होते रहता है। ये नक्सल प्रभावित क्षेत्र बैहर विधानसभा क्षेत्र की सीमा से लगे होने के कारण नक्सलियों का आवागमन बना हुआ है।
3. क्षेत्र में रोजगार के साधन नहीं है। ग्रामीणों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग रोजगार के लिए प्रतिवर्ष पलायन कर रहे है। यहां उद्योग धंधे की स्थापना होनी चाहिए। खासतौर पर जंगलों के बीच बसे ग्रामीणों को किसी भी तरह से रोजगार नहीं मिल पा रहा है।
4. परसवाड़ा क्षेत्र में परिवहन की सुविधा नहीं है। वनांचल क्षेत्रों में निवासरत ग्रामीण अपने साधनों या फिर पद यात्रा करते हुए शहरी क्षेत्र में पहुंचते है। क्षेत्र के खारा, पोलबत्तूर, सूर्या, सेरवी, भालेवाड़ा, मोहगांव जैसे ऐसे अनेक ग्राम है जहां आवागमन के साधन बिल्कुल ही नहीं है।
5.बिजली कटौती की समस्या बरकरार है। क्षेत्र की सभी ग्राम पंचायतों में यह समस्या बनी हुई है। जंगलों के बीच बसे ग्रामों में विद्युत विस्तार तो हुआ है, लेकिन ग्रामीणों को पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाती है। आज भी ग्रामीण रात्रि के समय अंधेरे में जीवन यापन करते हैं।
6.स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। शिक्षकों द्वारा अपने निवास स्थान से ही आवागमन करते हैं। जिसके कारण वे समय पर शाला नहीं पहुंच पाते। इसी कारण बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए काफी संभावनाएं है। अच्छे शिक्षकों की पदस्थापना जरुरी है।
7. सड़कों की स्थिति काफी खराब है। शहरी क्षेत्र मसलन या मुख्य मार्ग पर बसे ग्रामों की ही सड़कें बेहतर है, लेकिन ग्रामीण अंचलों में सड़कों निर्माण नहीं हो पाया है। कच्चे या जर्जर मार्गों से अभी भी ग्रामीणों को आवागमन करना पड़ रहा है।
8. पेयजल की समस्या पूरे परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में बनी हुई है। ग्रामीण आज भी ग्रीष्म ऋतु में नदी नालों का पानी पीते है। पेयजल योजना धरातल पर नहीं आ पाई।
9. इस विधानसभा क्षेत्र में किसी भी प्रकार के उद्योग धंधे, कारखानों की स्थापना नहीं हो पाई है। वनांचल क्षेत्र होने के बाद भी यहां इससे जुड़े कोई भी कारखाने नहीं है। जबकि बांस वनोपज से जुड़ा उद्योग यहां पर बेहतर ढंग से संचालित हो सकता है।
10. क्षेत्र के किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिल पाया। वन्य जीवों द्वारा फसलों को क्षति पहुंचाए जाने पर भी मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। सिंचाई के साधन नगण्य है। क्षेत्र के अधिकांश किसान वर्षा ऋतु पर ही सिंचाई के लिए निर्भर है।
हमारा कैंडिडेट कौन हो…
संभावित दावेदार: मधु भगत (कांग्रेस),
रामकिशोर कावरे (भाजपा)
दरबू सिंह उइके (गोंगपा)

कंकर मुंजारे (सपा)
विधानसभा क्षेत्र: परसवाड़ा, जिला बालाघाट

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