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बालाघाट

नदी-तालाबों के संरक्षण को लेकर उदासीन प्रशासन-

जलसंकट बरकरार, बारिश का इंतजारगांवों में पेयजल संकट, जल संरक्षण के उपाय नहीं

बालाघाटJun 12, 2019 / 05:51 pm

mukesh yadav

jal sankat

नदी-तालाबों के संरक्षण को लेकर उदासीन प्रशासन-

कटंगी। क्षेत्र में हर ओर जल संकट ने विकराल रुप धारण कर लिया है। वृहद सिंचाई परियोजना राजीव सागर बांध का तेज धूप की वजह से तेजी से जलस्तर घट रहा है। वहीं जमुनिया और नहलेसरा जलाशय में मात्र 5 फीसदी पानी ही बचा हुआ है। अगर इस माह के अंत तक बारिश नहीं हुई तो यह जलाशय पूरी तरह से सूख सकते है। जबकि शहर और ग्रामीण अंचलों के करीब 90 फीसदी छोटे-बड़े सभी जलाशय सूख गए है। गर्मी की वजह से इन जलाशयों में बड़ी-बड़ी दरारें दिख रही है। कुछेक गांवों में तो हालत इतने बदत्तर हो चुके हैं कि लोगों को पेयजल और दैनिक उपयोग के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रही है ऐसे में पानी-पानी को मोहताज हो रहे इंसान और पशु-पक्षी सभी बड़ी ही बेसब्री से बारिश का इंतजार है। खेती-किसानी की तैयारी में जुटने वाला किसान पानी के लिए आसमान की ओर टकटकी लगाएं है। मालूम हो कि शहर से लेकर गांव तक में इन दिनों पानी की भारी किल्लत है। शहर के तमाम वार्डों में टैंकरों से पानी की सप्लाई की जा रही है। ग्रामीण अंचलों में कूप, हंैडपंप तथा तालाब सूख चुके है। नल-जल योजनाएं भी साथ नहीं दे रही है।
इधर, समूचे क्षेत्र में भीषण जल संकट होने के बाद भी क्षेत्रीय नेता तथा प्रशासन जल संग्रहण, नदी-तालाबों के संरक्षण को लेकर कोई ठोस प्रयास करते दिखाई नहीं दे रहा है। कटंगी से बहने वाली चंदन नदी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहा है, लेकिन प्रशासन नदी के संरक्षण को लेकर उदासीन बना हुआ है। जबकि नगर परिषद सांवगी से सूखी चंदन नदी से पानी लाकर शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए 11 करोड़ 86 लाख रुपए खर्च करने की पूरी तैयारी कर चुकी है। जानकारों का कहना है कि नगर परिषद का यह प्रयास केवल पैसों की बर्बादी है जब तक चंदन नदी का संरक्षण नहीं किया जाता तब तक चंदन नदी से किसी भी प्रकार की उम्मीद करना बेइमानी है। बता दें कि सेलवा चंदन नदी पर मैंगनीज खदान संचालित होने से नदी का प्रवाह अवरूद्ध हो चुका है। इस कारण सेलवा से सावंगी तक पानी ही नहीं पहुंच पाता है।
उल्लेखनीय है कि साल दर साल बारिश में कमी होने से सिंचाई व पेयजल के लिए ग्राउंड वाटर पर निर्भरता बढ़ी है। साथ ही कम बारिश होने से जमीन के अंदर कम पानी जा रहा है। ऐसे में जमीन के नीचे से जितनी मात्रा में पानी निकाला जा रहा है, उतनी मात्रा में उसकी भरपाई नहीं हो पा रही है। कमोबेश यह स्थिति पूरे जिले भर में बनी हुई है। ज्ञात हो कि कम बारिश की तो एक समस्या है ही, जल संरक्षण की कमी इसकी दूसरी बड़ी वजह है। आज कटंगी शहर के तालाबों को पाट दिया है। शहर के इन तालाबों पर धन्नासेठों की काली नजर पड़ गई है। इस वजह से इन तालाबों का अस्तित्व भी मिटते नजर आ रहे है। बहरहाल, अभी लोगों को भविष्य में पेयजल की स्थिती की चिंता सता रही है। इन दिनों हरेक व्यक्ति प्रशासन से नदी-तालाबों के संरक्षण की मांग करता सुनाई पड़़ रहा है। गौरतलब हो कि कटंगी क्षेत्र में तालाबों की करीब 100 के आस-पास है। मगर, फिर भी गर्मी के दिनों में जलसंकट की समस्या उत्पन्न होती है। तालाबों को सूखने से लोगों को स्नान तो मवेशियों के समक्ष पीने के पानी की किल्लत देखी जा रही है। क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा जलसंकट और इसके कूप्रभाव का आज शिकार है। लोगों का कहना है कि जल की अहमियत पर गौर करते हुए इसके संरक्षण के लिए गंभीर होना होगा।

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