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बालाघाट

जीर्ण-शीर्ण हुए भवन, कभी भी ढह सकती है इमारत

निजी सहित सरकारी इमारतें भी हो गई जर्जरजान की दुश्मन न बन जाए लापरवाही

बालाघाटMay 02, 2019 / 08:58 pm

mukesh yadav

jarjar bhavan

जीर्ण-शीर्ण हुए भवन, कभी भी ढह सकती है इमारत

बालाघाट. शहर में दर्जनों पुराने मकान जर्जर हो रहे है। इनमें सरकारी इमारतें भी शामिल हैं। जीर्ण-शीर्ण इन भवनो को खाली कराने या जमींदोज करने की दिशा में स्थानीय प्रशासन गंभीर नहीं है। कई जीर्ण-शीर्ण भवनों में तो स्कूल दफ्तर संचालित हो रहे या फिर परिवार रह रहे हैं। दो माह बाद मानसून की दस्तक के साथ आंधी-तूफान व बारिश आने का मौसम आ रहा है। ऐसे में यह लापरवाही कहीं किसी की जान की दुश्मन न बन जाए, यह डर लोगों को सता रहा है।
कभी भी ढह सकते है ये भवन
बालाघाट में दशकों पुराने भवनों की संख्या अधिक है। जिनमें से दर्जनों की स्थिति जर्जर हो चुकी है। लेकिन नगर पालिका प्रशासन की नींद है कि खुलने का नाम नहीं ले रही है। शहर की सबसे अधिक जर्जर हो चुकी कल्पना लॉज जिसे स्वयं नपा प्रशासन भी मानता है कि वह कभी भी ढह सकती है। इसके अलावा सरकारी यात्री प्रतिक्षालय, वेटनरी बिल्डिंग और एमपीईबी की बिल्डिंग जिनके अधिकांश कमरे जर्जर होने के कारण खाली है, आदि भवन जीर्ण-शीर्ण हो रहे हैं और उनके कभी भी ढहने का भय बना हुआ है। पूर्व में नगर पालिका ऐसे जर्जर भवन मालिकों को नोटिस जारी किया जा चुका है। लेकिन आज भी यह जर्जर भवन खड़े है और हादसे का डर सता रहा है। इनके पास से गुजरने वाले राहगीर भी तेज हवा चलने पर सहम जाते हैं। इन जर्जर भवनों को खाली कराने और उन्हें डिस्मेंटल करने की कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।
मामला-एक : कल्पना लांज
कल्पना लॉज करीब तीन दशक पुरानी है और इसमें नीचे वर्तमान में चाय-पान दुकान, सोसायटी इत्यादि संचालित किया जा रहा है। बारिश के मौसम में भवन की छत से पानी टपकता है। इसके अलावा मरम्मतीकरण के अभाव में यह बिल्डिंग जर्जर हो रही है। इस इमारत को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कभी भी धराशाही हो सकती है।
मामला- दो : वेटनरी कॉलोनी
शहर के आकाशवाणी समीप वेटनरी कॉलोनी में स्थित शासकीय क्वाटरों की हालत बदहाल है। मकान काफी पुराने होने से जर्जर हो गए है। जो तेज व लगातार बारिश में कभी भी गिर सकते है। लेकिन इस दिशा में जिम्मेदार उदासीन बने हुए है। बारिश होने पर भवन में पानी टपकने के साथ सीलन आ जाती है। इन मकानों में रहने वाले परिवारों को हादसे का डर सताता रहता है।
मामला- तीन: यात्री प्रतिक्षालय
शहर के बस स्टैंड स्थित शासकीय यात्री प्रतिक्षालय की बिल्डिंग की जर्जरता की पोल भी पीछे से देखने पर खुलती है। तत्कालीन कलेक्टर बी चंद्रशेखर के सख्ती दिखाने पर नपा ने इसमें रंग-रोगन कार्य तो करवाया गया था। नपा द्वारा बस स्टैंड को सौंदर्यीकरण किया जाने प्रस्ताव पारित किया गया। यात्री प्रतिक्षालय को भी तोड़ा जाना है। लेकिन बारिश के पूर्व इसे धराशाही नहीं किया गया तो कभी भी हादसा हो सकता है।
मामला- चार : एमपीईबी कॉलोनी
ऐसी ही जर्जर बिल्डिंगों में सुमार शहर के डेंजर रोड स्थित एमपीईबी कॉलोनी है। बिजली कर्मचारियों के रहने के लिए बनाई गई इस इमारत में करीब दो दर्जन से अधिक फ्लेट बनाए गए हैं। लेकिन इसमें सिर्फ चार से पांच परिवार ही रह रहे हैं। इस इमारत के फ्लेट भी काफी जर्जर हो चुके है। इस कारण इनमें कोई रहना पसंद नही करता। यहां रह रहे परिवार भी भय के साए में गुजर-बसर रहे हैं। पास जाकर देखने पर यह इमारत किसी खडहर जैसी दिखाई देती है।
वर्सन
नगरपालिका प्रशासन जर्जर इमारतों के प्रति गंभीर है। सभी जर्जर भवनों की इंजीनियर से जांच कराकर उन्हें नोटिस जारी किया जाएंगा। शासकीय यात्री प्रतीक्षालय के विषय में भी प्रयास किए जाएंगे।
गजानन नाफड़े, नपा सीएमओ

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