बदहाली के आंसु बहाता पूर्व मंत्री का गांव-
घास-फूस की झोपड़ी कच्चे मकान में गरीबों का बीत रहा जीवन
बदहाली के आंसु बहाता पूर्व मंत्री का गांव-
कटंगी। सिर पर घास-फूस की झोपड़ी और कच्चे मकान, दिन भर मेहनत-मजदूरी फिर भी तंगहाली, चेहरे पर मायूसी और सरकारी मदद के लिए राह ताकती वृद्धजनों की आंखे। यह तस्वीर ग्राम पंचायत नवेगांव अंतर्गत आने वाले ग्राम झंझागी की है। जहां पर सरकार के विकास के दावे और अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति के विकास का वादा सब झूठा दिखाई पड़ता है। नवेगांव पंचायत पूर्व मंत्री टामलाल सहारे का पैतृक निवास यानि गृहग्राम है। अगर राजनैतिक लिहाज से देखे तो इस गांव में विकास की गंगा बहनी थी। लेकिन यहां के गरीब ग्रामीणों की बदनसीबी देखिए कि उनके पास सिर छिपाने पक्की छत तक नहीं है। सरपंच ने बताया कि पीएम आवास योजना के तहत 37 मकानों का लक्ष्य मिला था। लेकिन महज 12 बन पाए। अधिकारियों ने बाकि मकानों को मापदंड के अनुरूप नहीं होने के कारण अपात्र कर दिया।
मुख्यालय से 15 किमी. दूर झंझागी के गरीब ग्रामीणों ने बताया कि वह अपने परिवार का पेट पालने पलायन कर जाते हैं। बड़ी मुश्किल से गुजारा हो पाता है। ऐसे में सिर ढकने के लिए पक्की छत तैयार करना हमारे लिए एक ख्वाब है। हम लोग सरकार की आवास योजना होने के बावजूद कच्चे मकान और झोपडिय़ों में रहने को मजबूर हैं। बारिश के मौसम में हमेशा हादसे का डर बना रहता है। छतों से पानी टपकता है और कई बार तो रतजगा करना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना से उम्मीद की एक किरण जागी थी। लेकिन गांव में गरीब परिवारों को इस योजना का लाभ ही नहीं मिला। गांव के कई गरीब परिवार तो सरकार की अन्य योजनाओं से भी वंचित है।
ग्रामीणों ने बताई व्यथा
ग्रामीण रमेश वाघाड़े, बालचंद वाघाड़े, गनपत सेन्दरे, सहजलाल बिन्झाड़े, बेनीराम सेन्दरे, बलीराम कुंभरे सहित अन्य ने बताया कि वह कई वर्षो से कच्चे मकान में निवास कर रहे हैं। एक व दो कमरों के मकान है। उठने-बैठने से लेकर सोने के लिए इन कमरों का इस्तेमाल होता है। अगर घर पर कोई मेहमान आ जाए तो दिक्कत होती है। इन तमाम ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराते हुए पीएम आवास योजना, उज्जवला योजना का लाभ दिलाने की मांग की है।
नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ
ग्रामीण वर्तमान विधायक केडी देशमुख से भी नाराज है। ग्रामीणों का आरोप है कि विधायक चुनाव जीतने के बाद कभी उनका दर्द पुछने के लिए नहीं आए। विकास के बड़े-बड़े वादे किए गए। लेकिन आम आदमी का विकास नहीं हुआ। सरकार की सैकड़ों योजनाएं होने के बाद भी ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ नहीं दिलाया गया। जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की घोर उपेक्षा के कारण ग्रामीणों का जीवन नर्क बना हुआ है।
इनका कहना है।
ग्राम पंचायत में 37 मकानों का लक्ष्य आया था। लेकिन 12 मकानों का ही निर्माण हो पाया. अधिकारियों ने बताया कि शेष मकान मापदंड के अनुरूप नहीं आते इस कारण ग्रामीणों को आवास योजना का लाभ नहीं मिला।
महेन्द्र मेश्राम, सरपंच नवेगांव