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बालाघाट

महाराष्ट्र राज्य से एमपी पहुंचा टिड्डियों का दल

खैरलांजी तहसील के ग्राम चिचोली से किया प्रवेश, आधा दर्जन से अधिक ग्रामों में टिड्डियों के दल ने किया भ्रमण, किसान, ग्रामीण और कृषि विभाग के अमले ने भगाने का किया प्रयास

बालाघाटMay 28, 2020 / 08:34 pm

Bhaneshwar sakure

महाराष्ट्र राज्य से एमपी पहुंचा टिड्डियों का दल

महाराष्ट्र राज्य से एमपी पहुंचा टिड्डियों का दल

बालाघाट. खेतों में लगी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाने वाला टिड्डी दल पड़ोसी महाराष्ट्र राज्य के भंडारा जिले की तुमसर तहसील से बालाघाट जिले में प्रवेश किया है। टिड्डी दल ने बुधवार की रात्रि से ही खैरलांजी तहसील के चिचोली गांव में प्रवेश करना शुरू कर दिया था। चिचोली गांव के अलावा टिड्डियों का दल ७ गांवों में भ्रमण कर चुका है। इधर, टिड्डी दल के मप्र में प्रवेश करने के बाद संबंधित गांव के किसान, ग्रामीण और कृषि विभाग के अमले ने ध्वनि विस्तारक यंत्र, पानी की बौछार और दवाईयों से भगाने का प्रयास भी किया। हालांकि, कृषि विभाग ने एक दिन पूर्व ही टिड्डी दल के बालाघाट जिले में प्रवेश करने और महाराष्ट्र व मप्र राज्य की सीमा में बसे गांवों के किसानों को अलर्ट रहने की चेतावनी भी दी थी। टिड्डी दल ने खैरलांजी क्षेत्र में पेड़ों के साथ-साथ किसानों द्वारा लगाए गए सब्जियों को भी काफी नुकसान पहुंचाया है।
जानकारी के अनुसार चिचोली गांव में टिड्डी दल ने अनेक पेड़-पौधों को चर कर साफ कर दिया है। ग्रामीण व किसान जब तक उन्हें भगाने के लिए प्रयास करते तब तक टिड्डी दल ने अनेक पेड़ों को चर लिए थे। हालांकि, फसलों को टिड्डी दल से कम ही नुकसान हुआ है। उप संचालक कृषि सीआर गौर ने बताया कि टिड्डी दल ने 28 मई को खैरलांजी तहसील के ग्राम चिचोली से बालाघाट जिले में प्रवेश किया है। ग्राम चिचोली के बाद टिड्डी दल कुम्हली, कटोरी, भंडारबोड़ी, मिरगपुर, मुरझड़ होते हुए वारासिवनी तहसील के ग्राम लालपुर तक पहुंच गया है। टिड्डी दल को भगाने के लिए कृषि विभाग का अमला मौके पर पहुंच गया है और कीटनाशक का छिड़काव कर उसके खात्मे का प्रयास कर रहा है। टिड्डी दल को भगाने के लिए ग्रामीणों और किसानों द्वारा भी प्रयास किए जा रहे हैं। खेतों में ड्रम, टीन, ढोल और अन्य सामग्री के द्वारा शोर किया जा रहा है। उप संचालक कृषि गौर ने जिले के किसानों से अपील की है कि वे टिड्डी दल को अपने खेतों में न पहुंचने दें और उन्हें दूर भगाने के लिए सभी उपाय करें। टिड्डी दल हवा के रूख के साथ ही चलता है। जिस ओर हवा चलती है, उसी दिशा में टिड्डी दल चलने लगता है। किसान अपने खेत में लगी फसलों को बचाने के लिए जुट जाएं और टिड्डी दल को भगाने में पूरा जोर लगा दें। अन्यथा यह दल उनके खेत में लगी सारी फसलों और पेड़ों की हरियाली को चर कर साफ कर देगा।
ऐसे कर सकते हैं टिड्डी दल से बचाव
टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव के लिए किसानों को सलाह दी गई है कि अपने स्तर पर अपने गांव में समूह बनाकर खेतों में रात्रि के समय निगरानी रखें। यदि टिड्डी दल का प्रकोप होता है तो तत्काल इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन, कृषि विज्ञान केन्द्र सहित किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग को दें। यदि किसी गांव में टिड्डी दल का आक्रमण होता है तो सभी किसान और ग्रामीण टोली बनाकर विभिन्न तरह के उपाय जैसे ढोल, डीजे, थाली, टीन के डिब्बे से शोर मचाकर, ट्रेक्टर का साइलेंसर निकालकर चलाकर व अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से तेज आवाज कर टिड्डी दल को खेतों से भगाया जा सकता है।
इसी प्रकार यदि शाम के समय टिड्डी दल का प्रकोप होता है तो टिड्डी की विश्राम अवस्था में सुबह 3 बजे से 5 बजे के बीच में तुरंत कीटनाशी दवाएं ट्रेक्टर चलित स्प्रेयर पम्प से क्लोरपायरीफास 20 ईसी 200 मिली या लेम्डासाइलोइन 5 ईसी 400 मिली या डाईफ्लूबेंजुसन 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। रासायनिक कीटनाशी पावडर फेनबिलरेड 0.4 प्रतिशत 20 से 25 किलो या क्यूनालफास 5 प्रतिशत 25 किलो प्रति हेक्टेयर भुरकाव करें। टिड्डी दल के आक्रमण हो जाने के बाद यदि कीटनाशी दवा उपलब्ध न हो सके तो इस स्थिति में ट्रेक्टर चलित पावर स्प्रेयर के द्वारा पानी की तेज बौछार चलाकर भी टिड्डी दल को भगाया जा सकता है।

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