बतादें कि रात को बड़ा हादसा तब टल गया जब गिट्टी भरा ट्रक अंग्रेजी हुकूमत के जिस पुल पर खड़ा था वह ध्वस्त हो गया। दिन में अगर यह हादसा हुआ तो सैकड़ों जान चली गई होतीं। बलिया शहर के बीचों-बीच स्थित NH- 31 के कटहर नाला पर बना जो पुराना पुल ध्वस्त हुआ उसपर दिन में जीप व ऑटो स्टैंड रहा करता था।
इसी पुल से दर्जनों गांव के साथ बक्सर ( बिहार) तक के लिए जीप व ऑटो आते-जाते हैं। जिस समय पुल ध्वस्त हुआ गिट्टी भरा ओवरलोड ट्रक खड़ा था। जर्जर हो चुका पुराना पुल दिन में अगर ध्वस्त हुआ होता हो बड़ा हादसा हो सकता था, बहरहाल टल गया लेकिन इसकी जिम्मेदारी कौन लें? पब्लिक का कहना है कि प्रशासन जिम्मेदार है क्योकि जब यह जर्जर था तो इसे पब्लिक को चलने के लिए पाबन्द क्यों नहीं किया गया।
जहां रोज छोटे -छोटे वाहन चालक दर्जनों की संख्या में सवारी लेकर चलते थे। बकायदा वाहन स्टैंड का बोर्ड लगा रखे थे। यह पुराना पुल जहां ध्वस्त हुआ वहां से देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चन्द्रशेखर महज 1 किलोमीटर दूरी पर है, फिर भी जिला प्रशासन का कुंभकरणी नीद नहीं खुली क्या बास्तव में जिला प्रशासन को किसी अनहोनी का इंतजार कर रही है। NH और PWD के पेंच में बलिया की जनता मौत के रास्ते रोज गुजर रही है आलम यह है कि प्रशासन द्वारा कोई नोटिस नही लगी है कि कितने वजन के वाहन का चलना प्रतिबंधित है। बहरहाल जो भी हो देखना यह है की बलिया की जनता के अधिकारों को कब तक अनदेखी होती है ।
इनपुट- अमित, बलिया