बलिया. सन 2014 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद सम्भालते ही सभी सांसदों से अपने संसदीय क्षेत्र के एक-एक गांव को गोद लेने के लिये कहा था। सांसदों ने पीएम के फरमान पर गांवों को गोद लिये भी, लेकिन अपेक्षा के अनुरूप विकास कार्य नहीं हुआ। सांसदों द्वारा गोद लिये गांव भी आज की जरूरत बन चुकी नेटवर्क कनेक्टिविटी एवं बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिये भी कराह रहे हैं। ऐसा ही एक गांव है जनपद का ओझवलिया गांव। बलिया लोकसभा क्षेत्र के सांसद भरत सिंह ने ओझवलिया गांव को गोद लिया। गांव में सड़क, नाली आदि के कार्य हुए भी, लेकिन कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें गांव को विकास की पहली किरण का इन्तजार आज भी है।
तकनीकी विकास के इस दौर में जब संचार के उपकरण लोगों की दिनचर्या के अभिन्न अंग बन चुके हैं, यह गांव काफी पिछड़ा है। लोगों के हाथ में स्मार्ट फोन तो हैं, लेकिन नेटवर्क के अभाव में महज झुन-झुना बनकर रह गया हैं। नेटवर्क नहीं रहने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मोबाइल फोन से ना तो ठीक से बात हो पाती है और ना ही इण्टरनेट ही चल पाता है। 4जी सेवाओं के दौर में 2जी की रफ्तार से भी इण्टरनेट नहीं चल रहा, जिससे ग्रामीणों को ऑनलाइन सूचना प्राप्त करने, किसी अपने को संदेश भेजने अथवा आवश्यक कार्य का निष्पादन करने के लिये गांव से तीन-चार किलो मीटर दूर जाना पड़ता है। मोबाइल फोन से बात करने की चर्चा करें, तो भी स्थिति इतर नहीं। दो मिनट की बात भी 10 मिनट में हो पाती है। आवाज का रूक-रूक कर आना एवं आवाज आनी बंद हो जाना तो जैसे यहां आम बात हो गयी है। ग्रामीण बताते हैं कि गांव में मोबाइल सेवा प्रदाता किसी भी कंपनी का टावर नहीं है। पांच-छह किलो मीटर के दायरे में अवस्थित गांवों में टावर हैं, लेकिन कम क्षमता के कारण ओझवलिया में कनेक्टिविटी सही नहीं है। जिससे नागरिकों, विशेषकर युवाओं व छात्र-छात्राओं को शिक्षा एवं स्वास्थ्य के साथ ही
रोजगार व अन्य जरूरी जानकारियों से वंचित होना पड़ रहा है। गांव के निवासी एवं समाजिक कार्यकर्ता सुशील कुमार द्विवेदी ने सांसद भरत सिंह एवं प्रशासनिक अधिकारियों से मोबाइल कंपनियों का टावर लगवाने के लिये पहल करने एवं वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है।