ऐसा ही कुछ हाल बलिया जिला चिकित्सालय का है। पिछले एक सप्ताह से सर्द हवाओं के साथ ही गलन भी तेज हुई है। ठंड में रोगियों की संख्या तेजी से बढ. रही है। लेकिन बावजूद इस ठंड के भी इमरजेंसी वार्ड में ज्यादातर मरीजो के बेड पर न बेडसीट लगी है न ही ठंड से बचने के लिए विभाग ने उन्हे कंबल दिये हैं।
इसे लेकर पत्रिका संवाददाता ने जब विभाग में संबन्धित लोगों से बात किया तो उनका बयान हैरान करने वाला रहा। सवालों के जवाब में स्वास्थकर्मी ने बताया कि जब तक मरीज कम्बल और बेडसीट की डिमांड नही करेगा तब तक उसे नहीं दिया जायेगा। जब स्वास्थकर्मी की बातों को लेकर सीएमएस से सवाल किया गया तो उनका भी यही जबाव रहा कि जब कोई डिमांड ही नहीं करेगा तो उसके लिए इंतजाम आखिर कैसे कराया जा सकता है। हैरानी की बात ये है कि जो सुविधा मरीजों के लिए बनाई गई है उसे देने में विभाग को दिक्तत क्या है।
अब सवाल ये है कि जिसे ठंड लगेगी वो आखिर कंबल की मांग क्यूं नहीं करेगा। मरीज राम जतन से सवाल किया गया तो उन्होने इन बातों को सिरे से नकार दिया। उनका कहना था कि एक नहीं कई बार हमने बिस्तर और कंबल की मांग की। अन्य मरीज भी करते हैं। लेकिन स्वास्थ विभाग के लोगों की ओर से कहा जाता है कि ठंड में मरीद अपने घर से बिस्तर लेकर आयें।
सरकार करती है लाखों खर्च मरीजों को सुविधा के नाम पर हर साल सरकार की तरफ से लाखों रूपये खर्च किये जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता पुरूषोत्तम दास बताते हैं कि हर साल बड़ी रकम खर्च कर मरीजो की समुचित व्यवस्था करने के लिए सरकार काम करती है। लेकिन लापरवाह कर्मचारियों के पास बहाने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता कि वो जनता की सेवा कर सकें।