आप सोच रहे होंगे इतना खौफ आखिर माजरा क्या है। पूरी कहानी हम आपको बताते हैं। बागियों के जिले बलिया में एक थाना पड़ता है भीमपुरा। इस थानाक्षेत्र का एक गांव है प्रेमरज। गांव में चर्चित किस्से के मुताबिक अटल बिहारी मिश्रा नाम का एक सुंदर और तेज-तर्रार युवक था, जिसकी युवाओं में खासी पैठ थी। अटल इलाहाबाद विश्वविद्यालय का होनहार छात्र भी था। 1995 में जब प्रधानी का चुनव आया तो अटल बिहारी मिश्रा के परिवार से भी काई मैदान में उतरा। उसके परिवार के मैदान में आने से विपक्षी बौखलाए गए। अटल भी गांव आकर चुनाव प्रचार में लगने वाला था। कहा जाता है कि विपक्षियों को ये डर था कि अगर अटल ने आकर चुनाव की कमान संभाल ली तो वह हार सकते हैं, क्योंकि उसकी युवाओं में अच्छी खासी पैठ थी।
आरोप है कि विपक्षियों ने पुलिस की मिलीभगत से अटल को गांव न आने देने का इंतजाम किया। एक रात पता चला कि अटल गांव आ रहा है। किरिहड़ापुर स्टेशन पर जैसे ही अटल उतरा, तत्कालीन भीमपुरा थानाध्यक्ष राम बड़ाई यादव ने उसे उठा लिया और थाने ले आकर पुलिस वालों ने थानाध्यक्ष के कक्ष में उसकी बेरहमी से पिटायी की। कहा जाता है कि वह पुलिस वालों से गुहार लगाता रहा, लेकिन उस पर दया नहीं आयी। अटल की थाने में ही मौत हो गयी और पुलिस इस पर लीपापोती करने लगी।
इस बीच अटल की मौत के कुछ ही दिन बाद एसओ के कक्ष में अनहोनी घटना शुरू हो गयी। कहा जाने लगा कि उसकी आत्मा वहां भटक रही है और उसकी आवाजें आती हैं। इसके बाद कक्ष में ताला बंद कर दिया गया, साथ ही मालखाने और बगल के उपनिरिक्षक कक्ष में भी ताला लटक गया। हालांकि ऐसे भी थानेदार आए, जिन्होंने इसको नहीं माना और थानाध्यक्ष के कमरे में बैठे, लेकिन जैसा कि बताया गया, उन लोगों के साथ घटनाएं घटनी शुरू हो गयीं। कई थानाध्यक्ष तो घायल भी हुए। इसके बाद से कार्यालय पर परमानेंट ताला लटकने लगा। मालखाना और उपनिरिक्षक का कक्ष भी लॉक हो गया। कमरे का दरवाजा देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये बरसों से नहीं खुला। वर्तमान थानाध्यक्ष सत्येन्द्र राय भी कमरे में नहीं बैठते। खौफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि थाने के सिपाही मनोज सिंह से पूछा गया तो उन्होंने वहां मारे गए अटल मिश्रा को अटल बाबा कहा। बताया कि अटल बाबा की किसी तरह यहां मौत हो गयी थी। उसके बाद से ही ऐसा है। ढाई साल पहले ट्रांसफर होकर भीमपुरा थाने में आए सिपाही ने बताया कि इस कक्ष में थानेदार बैठते हैं तो कोई न कोई घटना घट जाती है। हालांकि यहां क्या हुआ था यह बताने को सिपाही तैयार नहीं हुआ। औराई कला गांव निवासी रमाशंकर सिंह बताते हैं कि 24 साल पहले भी उनकी दुकान वहीं थी। यहां अटल मिश्रा को भोर में पुलिस पकड़कर लाई और झूठा फंसाकर जघन्य हत्या कर दी गयी थी। कहा कि एक सीओ औरएसओ ने इतना मारा कि उनकी मौत हो गयी। उनके मुताबिक अब अटल की आत्मा भटकती है, जिसके चलते थानेदार अपने कक्ष में नहीं जाते।
जिस पुलिस पर वैज्ञानिक तर्कों और तथ्यों व पुख्ता दलीलों के आधार पर शहर के क्राइम कंट्रोल और शांति व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है वही आडम्बर और भूत-प्रेत के चक्कर में फंसी हुई है। हालांकि इलाके के कुछ बुजुर्गों की बात काफी हद तक सही मालूम होती है कि मामला भूत का नहीं, बल्कि पुलिस के उस जुल्म का है, जिसमें एक बेकसूर की जान चली गयी और चन्द पुलिस वालों के गुनाह से भीमपुरा थाने की पुलिस आज भी बाहर नहीं निकल पायी है।
By Amit Kumar