बता दें कि दैनिक समाचार पत्र पत्रिका ने तांदुला पुल के जर्जर होने की खबर प्रमुखता से प्रकाशन कर शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था। खबर प्रकाशन के बाद विभाग हरकत में आया और मरम्मत के लिए एस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा था। जिसे मंजूरी मिल गई है।
सिंचाई विभाग बालोद के ईई सतीश कुमार टीकम ने बताया कि शासन ने इस पुल की मरम्मत के लिए दो करोड़ 8 5 लाख रुपए की स्वीकृति दी है। मरम्मत काम के लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। एक माह के भीतर ही यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद मरम्मत का कार्य शुरू किया जाएगा।
विभाग की माने तो प्रशासकीय स्वीकृति के बाद तकनीकी स्वीकृति भी हो गई है।इस खूबसूरत व अंग्रेजों द्वारा बनाई गई कलाकृति से कोई भी छेडख़ानी मरम्मत के दौरान नहीं की जाएगी। अंग्रेजों के द्वारा की गई ऐसे कलाकृति प्रदेश में शायद ही कहीं और देखने को नहीं मिलता है। दूर दूर से लोग सिर्फ इस कलाकृति एक नदी पर दो नाले में पानी बहने वाले पुल को देखने आते हैं।
तांदुला जलाशय के इस नहर से बालोद, दुर्ग व बेमेतरा जिले के किसानों व तालाबों को पानी मिलता है। इसीलिए तांदुला जलाशय को तीन जिलों की जीवनदायिनी व भिलाई की लाइफ लाइन कहा जाता है। इसी नहर से होकर पानी भिलाई इस्पात संयंत्र को जाता है जहां बीएसपी धमन भ_ी के गर्म लोहे को ठंडा किया जाता है। तांदुला नहर से एक लाख हेक्टेयर की फसलों की सिंचाई होती है। गर्मी के दिनों में 12 सौ से अधिक तालाबों को भी पानी मिलता है।