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बालोद

पिता के बाद मां की चिता को भी बेटी ने दी मुखाग्नि, सभी की आंखें हुईं नम

एक बेटी ने एक बार फिर समाज को आईना दिखाया है। एक बेटी ने फिर ये साबित किया है कि माता-पिता का बड़ा सहारा बेटी भी होती है। मां की इच्छा और बेटा न होने की वजह से बालोद जिले के ग्राम दुधली (मालीघोरी) की एक बेटी ने अपना फर्ज निभाया और मां का अंतिम संस्कार कर मुखाग्नि दी।

बालोदMar 09, 2020 / 09:19 pm

Chandra Kishor Deshmukh

पिता के बाद मां की चिता को भी बेटी ने दी मुखाग्नि, सभी की आंखें हुईं नम

पिता के बाद मां की चिता को भी बेटी ने दी मुखाग्नि, सभी की आंखें हुईं नम

बालोद @ patrika . एक बेटी ने एक बार फिर समाज को आईना दिखाया है। एक बेटी ने फिर ये साबित किया है कि माता-पिता का बड़ा सहारा बेटी भी होती है। मां की इच्छा और बेटा न होने की वजह से बालोद जिले के ग्राम दुधली (मालीघोरी) की एक बेटी ने अपना फर्ज निभाया और मां का अंतिम संस्कार कर मुखाग्नि दी।
इस दौरान दुधली गाव के श्मशान घाट में मौजूद ग्राम एवं समाज के हर व्यक्ति, हरेक गांववासियों की आंखों में आंसू छलक गए। समय-समय पर समाज को एक नई दिशा देने वाली घटनाएं सामने आती रही हैं। ऐसा ही कुछ हुआ है बालोद जिले के ग्राम पंचायत दुधली में। पुहिपी ठाकुर का निधन 9 मार्च को हो गया, जिसकी बेटी किरण ठाकुर ने अपनी मां को मुखाग्नि देकर अपना फर्ज निभाया। इससे पहले किरण ठाकुर के पिता का निधन हुआ था, किरण ने पूरे विधि-विधान से पिता के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की थी।
बेटी भी होती है सहारा
किरण के इस काम से गांव के हर एक व्यक्ति की आंखों में आंसू थे। वहीं ग्राम परिवार के लोगों का कहना है कि बेटा जिस तरह से अपने माता-पिता का साहस होता है। ठीक उसी तरह बेटी भी अपने माता-पिता के लिए एक बड़ा सहारा होती हैं। किरण ने समाज के सामने बेटियों के साहस को प्रदर्शित करते करते एक बड़ा उदाहरण पेश किया है। गांव में रहने वाले राजू प्रभाकर जनपद सदस्य एवं कृष्णा रामटेके ने बताया कि समाज में बेटियों को लेकर मानसिकता जो भी हो, लेकिन किरण ने अपने माता-पिता की इकलौती बेटी होने का फर्ज बखूबी निभाया है। उन्होंने अपील की कि समाज में बेटियों की सहभागिता को स्वीकार किया जाना चाहिए और ऐसे दुख की घड़ी में अपनी किरण के साहस को ग्रामीण ने नमन किया एवं किरण के सहयोग के लिए ग्रामीणों ने मिलजुल कर पूरा योगदान दिया।
सामाजिक रीतियों को किया पूरा
दरअसल बालोद जिले के गांव दुधली में रहने वाली किरण ठाकुर की मां पुहिपी ठाकुर कुछ समय से बीमारी से ग्रसित थीं। ऐसे में बीमारी के दौरान उनकी माता हर समय इच्छा जाहिर कर रहीं थीं कि अगर वह दुनिया से दूर जाती हैं तो उनकी बेटी किरण उनको मुखाग्नि दें और उनका अंतिम संस्कार करें। अपनी मां की इच्छा की पूर्ति करते हुए किरण ने अपना साहस दिखाते हुए और समाज को नई दिशा देते हुए न सिर्फ अपनी मां को अंतिम विदाई दी। श्मशान घाट में उनके अंतिम संस्कार के समय अपनाई जाने वाली सारी रीतियों को पूरा किया।
किरण की चल रही है परीक्षा
किरण ठाकुर शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दुधली में 12वीं छात्रा है, जिसका अभी पेपर चल रहा है। मां के निधन के बाद अकेले किरण पूरी तरह से टूट चुकी है। उसे परीक्षा देकर अपना भविष्य गढऩा है और अकेले ही लक्ष्य तय कर आगे बढऩा है। जो किसी चुनौती से कम नहीं है।

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