इस पुल के बनने के बाद जिला मुख्यालय व जिला कलक्टोरेट व पर्यटन स्थल तांदुला जलाशय से सीधा संपर्क होगा, साथ ही तांदुला नदी में बाढ़ आने पर अब मार्ग भी अवरुद्ध नहीं होगा। लगभग 110 साल पहले अंग्रेजों ने तांदुला जलाशय के निर्माण के बाद जलाशय से लगभग 300 मीटर की दूरी पर रपटे का निर्माण किया था। अंग्रेजों द्वारा निर्मित इस सौ मीटर के रपटे को जेसीबी से तोडऩे में तीन घंटे से ज्यादा का समय लग गया। अब इंजीनियर तांदुला नदी पर पिल्हर तैयार करने नदी पर गड्ढे खोद रहे हैं।
विभाग की माने तो एक सप्ताह में निर्माण की गति भी बढ़ जाएगी और तेजी से काम करते हुए साल भर के भीतर ही पुल का निर्माण कर दिया जाएगा। तांदुला नदी में चट्टान ही चट्टान है। जिस जगह से पुल का निर्माण शुरू होगा, वहां तक चट्टान ही चट्टान है। इन चट्टानों को तोडऩे में पत्थर तोडऩे की मशीन भी काम नहीं आ रही है। बहुत ज्यादा पत्थर होने की वजह से पिल्हर के निर्माण करने में मशक्कत करनी पड़ रही है।
तांदुला की सुंदरता और प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के लिए जिले सहित अन्य जिले व प्रदेश के लोग आते हैं, लेकिन तांदुला नदी पर बाढ़ आ जाने के कारण लोग तांदुला के एक ही छोर की सुंदरता देख पाते थे। पुल निर्माण के बाद अब पर्यटक दोनों छोर की सुंदरता देख पाएंगे। वहीं जिला मुख्यालय का संपर्क सीधे जिला कलक्टोरेट से होगा।
105 साल पहले अंग्रेजों ने बनाया था रपटा
80 सालों से की जा रही है पुल बनाने की मांग
पुल निर्माण से जुड़ जाएंगे आंवराभाठा और देवतराई गांव
नदी पर बाढ़ आने पर भी मार्ग नहीं होगा बाधित
4 करोड़ की लागत से बनेगा 220 मीटर लंबा व 8 मीटर चौड़ा पुल
पुल निर्माण से जिला मुख्यालय आने-जाने में नहीं होगी परेशानी