मान्यता है कि होलिका दहन के बाद अंगारों पर नंगे पांव चलने से मनोकामना पूर्ण होती है। गांव के लोगों का मानना है कि किसी आपदा या बीमारी से गांव को बचाने के लिए इस परंपरा को निभाते हैं। सालों पुरानी इस परंपरा में गांव के बुजुर्ग से लेकर बच्चे भी होलिका की आग पर नंगे पांव ऐसे चलते हैं, मानो जमीन पर चल रहे हों। ऐसा करने में न तो किसी के पैरों में छाले पड़ते हैं न ही आज तक कोई हताहत हुआ है। यह परंपरा कब से है, ग्रामीण भी इसे नहीं जानते।