बेलमांड में शिक्षिकाओं ने पकाया चावल
ग्राम बेलमांड में प्राथमिक शाला में रसोइयों ने सब्जी व दाल बनाया, लेकिन चावल बनाने की बारी आई तो डेढ़ घंटे बीत गया था। रसोइया घर चले गए। शिक्षिकाओं ने चावल पकाया, वहीं महिला समूह की महिलाओं ने आकर बच्चों को खाना परोसा व बर्तन भी धोए। वहीं कुछ स्कूलों में शिक्षकों ने बच्चों को खाना परोसा।
कैसे करें 40 रुपए रोजी में कार्य
शिक्षा विभाग के मध्याह्न भोजन शाखा के मुताबिक जिलेभर में कुल 2532 रसोइया हैं। संघ ने साफ कहा कि हमारी मांग जायज है, जिसे सरकार अनिवार्य रूप से पूरा करे। रसोइया संघ के अध्यक्ष पंचू राम ने कहा कि इतने वर्षों से हम ईमानदारी से मध्याह्न भोजन बना रहे हैं। बच्चों को परेशानी नहीं हुई। हमने पूरा समय दिया। हमारी मांगों को पूरा कराने की बारी आई तो सिर्फ आश्वासन मिला। रसोइयों को सिर्फ 40 रुपए प्रतिदिन रोजी दी जा रही है।
जिले में मध्याह्न भोजन की व्यवस्था
कुल रसोइया -2553
प्राथमिक स्कूल- 817
माध्यमिक स्कूल -409
जल्द पहल नहीं तो बिगड़ जाएगी स्थिति
शासन व शिक्षा विभाग ने रसोइयों की अनुपस्थिति पर मध्याह्न भोजन संचालनकर्ता महिला समूह को खाना बनाने की जवाबदारी दी हैं। कई महिला समूह ने कहा कि हम एक-दो दिन सहयोग कर सकते हैं, रोज -रोज नहीं आ सकते। जिन स्कूलों में महिला समूह की सदस्य नहीं आ रही हैं, वहां शिक्षक भोजन बना रहे हैं। ऐसे में शिक्षक भी इस मामले पर अहम निर्णय ले सकते हैं।
कहीं शेड टूटे तो कहीं धुएं से परेशानी
जिले के कई स्कूलों में किचन शेड टूट गए हैं। बारिश के दिनों में भारी बारिश होने पर किचन शेड में पानी आता है, जहां धुआं निकलने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हैं। ऐसे में धुआं से भी परेशानी होता है। साथ ही कई और समस्या रसोइयों को होगी।
महिला समूह ही खाना बनाने व परोसने का काम करेगा
जिला मध्याह्न भोजन प्रभारी रवि कुमार यादव ने बताया कि रसोइया संघ ने आवेदन देकर कहा कि डेढ़ घंटे ही काम करेंगे। शासन के आदेशानुसार रसोइयों की अनुपस्थिति में मध्याह्न भोजन संचालनकर्ता महिला समूह ही खाना बनाने व परोसने का काम करेगा। सभी महिला समूह को निर्देशित कर दिया है। मध्याह्न भोजन किसी भी हाल में प्रभावित व बंद न हो।