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बालोद

तांदुला नहर के किनारे 32 साल से प्यासे गांवों में मुआवजे के लिए भटक रहे किसान

छत्तीसगढ़ का शायद पहला ऐसा क्षेत्र है जहां से प्रदेश के तीसरे सबसे बड़े जलाशय तांदुला नहर गुजरती है, पर विडंबना ऐसी कि वह भी प्यास नहीं बुझा पा रही। जीवन टीका है केवल बारिश के भरोसे।

बालोदNov 19, 2018 / 12:43 pm

Ashish Gupta

CG Election 2018

तांदुला नहर के किनारे 32 साल से प्यासे गांवों में मुआवजे के लिए भटक रहे किसान

बालोद. छत्तीसगढ़ के बालोद जिला मुख्यालय का अंतिम छोर, गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र व ब्लॉक मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर ग्राम भाठागांव-आर सहित आधा दर्जन गांव जहां के रहवासियों ने यहां की परिस्थिति को नियति मान ली, कि सरकार तो दूर, ऊपरवाला भी यहां की समस्या दूर नहीं कर सकता। छत्तीसगढ़ का शायद पहला ऐसा क्षेत्र है जहां से प्रदेश के तीसरे सबसे बड़े जलाशय तांदुला नहर गुजरती है, पर विडंबना ऐसी कि वह भी प्यास नहीं बुझा पा रही। जीवन टीका है केवल बारिश के भरोसे। लगातार तीन साल से सूखे की मार झेल चुके स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का गांव भाठागांव-आर सहित ग्राम जरवाय, मासूल, रनचिरई, बोरवाय, जामगांव और आंवरी का दौरा किया, तो चर्चा में धरती पुत्रों का ये दर्द छलक पड़ा। पढि़ए गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र से नीरज उपाध्याय की खास रिपोर्ट।

बात करने से कर दिया पहले साफ इनकार
जब भाठगांव-आर पहुंचा तब शाम चार बज रहे थे, कुछ बुजुर्ग गांव के मुख्य मार्ग पर एक घर के बरामदे में बैठे चर्चा में मशगुल थे, उन्हें देखकर रूका। नमस्कार के बाद गांव का हालचाल जाना और उस क्षेत्र की सिंचाई व्यवस्था पर बात छेड़ी, तो उन्होंने उस मामले पर बात करने से साफ इनकार कर दिया। फिर धीरे से मैने प्रार्थना की कि यह बात सभी राजनीतिक पार्टी के साथ जनप्रतिनिधि व सरकार तक पहुंचे, ऐसा हम प्रयास कर रहे हैं, तब वे आगे चर्चा को तैयार हुए।

तैयार होने के बाद सिस्टम करा दिया चोरी
7 गांवों के किसानों को लिफ्ट एरिगेशन से प्यासे खेतों के लिए बड़ी उम्मीद थी, जो कि लिफ्ट तैयार होने के बाद पूरी तरह टूट गई। यह सिस्टम राजनीति का शिकार हो गया और शासन का ढाई करोड़ पानी में चला गया। पाइप, मशीनें, पंप, विद्युत ट्रांसफार्मर सहित सभी सामान कुछ दिनों बाद चोरी चली गई। मामले में किसानों का कहना है दो राजनीतिक पार्टियों की लड़ाई में चोरी जानबूझकर कराई गई थी। इसकी देखरेख के लिए कार्यालय व आवास बनवाए, जिसका एक दिन भी उपयोग नहीं हो पाया।

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अर्जुन सिंह ने किया था भूमिपूजन
जानकारी अनुसार सात गांवों के किसानों की पीड़ा देखते एमपी के शिक्षा मंत्री रहे हरिहर प्रसाद शर्मा की मांग पर सिंचाई व्यवस्था के लिए 1984-85 में 1 करोड़ 25 लाख रुपए की लागत से मध्यप्रदेश शासनकाल में मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह ने भूमिपूजन किया था। काम अधर में था तब दूसरी बार फिर 1.25 करोड़ की राशि जारी की गई थी। दस साल में तैयार होने के बाद 1994 में विधायक जालमसिंह पटेल ने उद्घाटन किया। उसी दौरान लिफ्ट एरिगेशन एक बार ही केवल ट्रायल के लिए चालू किया जा सका, उसके बाद आज 32 साल बाद भी किसानों को इससे एक बूंद पानी नहीं मिला।

जमीन गई और मुआवजा नहीं मिला
सेवानिवृत्त प्रधानपाठक व किसान एचएम कतलम व जोहन राम साहू, ग्राम पटेल दिलीप कुमार साहू, व्यवसायी व कृषक सरीफ खान, कृषक जगनू राम साहू व संतोष नगरिया ने कहा 32 साल में कितनी सरकारें आई और गई, पर हमारी पीड़ा और घाव कर गई। सिंचाई व्यवस्था के लिए लिफ्ट एरिगेशन बनाने के नाम पर हमारी जमीन गई और मुआवजा भी नहीं मिला। वहीं शासन का ढाई करोड़ भी पानी में चला गया।

दो करोड़ मुआवजे के लिए आज भी भटक रहे 200 किसान
लिफ्ट एरिगेशन के लिए एक किलोमीटर नहर तैयार कराई गई, लगभग 10 मीटर चौड़ा और 50 फीट ऊंची टंकी बनवाई गई। मुख्य तांदुला नहर से ग्राम परसाहि के पास नहर का द्वार तैयार कर लिफ्ट तक पानी पहुंचाने का का पूरा सिस्टम बनवाया गया। पर यहां भी काम में ऐसी लापरवाही बरती गई कि मुख्य नहर का पानी छोटी नहर में तब आता है जब फूल पानी छोड़ा जाए, पर इस त्रुटि को आज तक सुधारा नहीं जा सका। इसका भुगतना आज भी सात गांव मासुल, जरवाय, डोंगीतराई, परसाही, भांठागाव, रनचिरई, बोदल के किसान भुगत रहे हैं। कहा जाए पानी मिला और न की 200 किसानों की जमीन का लगभग 2 करोड़ रुपए का मुआवजा आज तक अदर में है। कई आंदोलनों का भी मतलब नहीं निकला।

छत्तीसगढ़ बनने के 15 साल बाद भी हम वहीं पर
इस योजना में सिंचाई व्यवस्था के लिए सात गांवों के किसानों की जमीन लेकर 16 किलोमीटर में नहर बनाया गया। इसकी सिंचाई क्षमता 3200 एकड़ रखी गई। ग्रामीणों ने कहा छत्तीसगढ़ बनने के बाद भी 15 साल में सरकार ने कभी हमारी समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया। कलक्टर व मुख्यमंत्री जनदर्शन, जन समस्या निवारण शिविर, मंत्री, विधायकों के पास भी आवेदन लगाए, जिसका मतलब नहीं निकला। पिछले साल पास ही जामगांव में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पहुंचे थे, वहां भी हमने बात रखी, तो उन्होंने भी हाथ कड़ा कर दिया। ग्रामीणों ने कहा अब तो हमें किसी भी सरकार पर विश्वास नहीं रहा।

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