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बालोद

विकास के नाम पर 20 साल में प्रशासन ने दल्ली सहित आसपास के गांवों में नहीं लगाया एक धेला

नगर पंचायत क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों में भारी अनियमितता सामने आई है। आधे-अधूरे शौचालयों का उपयोग की नहीं किया जा रहा है।

बालोदJul 20, 2018 / 06:13 pm

Bhuwan Sahu

Dalli Rajhari mine

विकास के नाम पर 20 साल में प्रशासन ने दल्ली सहित आसपास के गांवों में नहीं लगाया एक धेला

दल्लीराजहरा. अयस्क नगरी दल्लीराजहरा का दोहन करते छह दशक हो गए। पर इतने सालों में नगर में आम जन के लिए स्थाई कोई सुविधाएं या रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं कराया जा सका। रोज कमाओ और खाओ की स्थिति में पिछले २० साल में नगर की उपेक्षा होती रही। इसलिए जिस नजर की जनसंख्या 20 वर्ष पहले जहां 1 लाख 25 हजार के आसपास थी, वो अब सिमटकर केवल 43 हजार के लगभग रह गई है। यह टीस अब नगवासियों के हर किसी की जेहन में है, नगर को बचाने राज्य सरकार से आस लगी हुई है।
यहां छोड़ आसपास के जिलों के विकास पर ध्यान

दल्लीराजहरा के खदानों से 2015 से अब तक जिला खनिज मद में 1 अरब 50 करोड़ से भी अधिक राशि प्राप्त हो चुकी है। पर यहीं की ही उपेक्षा कर आसपास के जिलों के विकास पर ही ध्यान दिया जा रहा है। राज्य सरकार व जिला प्रशासन ने यहां की जनता के साथ लगातार खिलवाड़ किया है जिसे लेकर नगरवासियों में नाराजगी है। छत्तीसगढ़ बनने के १४ साल बाद भी सरकार ने इस नगर की केवल उपेक्षा ही की है। मांगपत्रों को इन्होंने रद्दी की टोकरी में डलते गई। जिला प्रशासन में बैठे अधिकारी भी राज्य सराकर के इशारे पर काम करता है। इसी वजह से दल्ली अपने अस्तित्व को बचाने लड़ाई लड़ रहा है। जनता की पीड़ा को विगत 5 जून, 6, 8, 10 व 13 जुलाई को पत्रिका ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित कर सरकार की नियत को सामने ला रहा है।
अनदेखी और उपेक्षा से युवा कर रहे हैं यहां से पलायन

नगर की इसी उपेक्षा और जिम्मेदारों की अनदेखी की वजह से यहां आज तक खनिज से संबंधित एक उद्योग तक शुरू नहीं हो पाया। रोजगार के साधनों के अभाव में यहां के युवाओं में बेरोजगारी बढ़ती गई, इसलिए लोग पलायन करने लगे हैं। दूसरी ओर यहां शिक्षा, स्वास्थ्य व शुद्ध जल जैसे मूलभूत सुविधाओं को राज्य सरकार की ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया। इससे यहां के वासियों ने हताशा की स्थिति है।
यहां की राशि पर सबसे पहला अधिकार राजहरा का

पार्षद के ईश्वर राव ने नगर की उपेक्षा मामले में कहा कि जब लौह खनिज का दोहन राजहरा के खदानों से किया जा रहा है, तो यहां की मूलभूत सुविधाओं व विकास कार्यों की आवश्यकता की पूर्ति करना भी जिम्मेदारों की बनती है। जिला खनिज न्यास में प्राप्त राशि को प्राथमिकता के तौर पर राजहरा व आसपास क्षेत्र के विकास कार्यों पर ही खर्च करने शासन व प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। 70 प्रतिशत राशि राजहरा के ही विकास कार्यों पर खर्च हो। क्योंकि इस राशि पर सबसे पहला अधिकार खनन क्षेत्र का है। राजहरावासियोंं का है। मामले पर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी ने एसडीएम को कलक्टर के नाम पर पत्र सौंपकर खनिज रायल्टी की राशि का दल्लीराजहरा में विकास के लिए खर्च करने की मांग की गई है।
उजड़ते नगर को बचाने तमाम विकास कार्य हों

मेटल माइंस वर्कर्स यूनियन इंटक के अध्यक्ष रतिराम कोसमा ने कहा जिला खनिज न्यास की राशि का 60 फीसदी हिस्सा दल्लीराजहरा नगर के विकास कार्यों पर खर्च किया जाना चाहिए। यहां की राशि अन्य जिलों में भेजना गलत है। बालोद जिले के तमाम ग्रामीण क्षेत्रों में ही इसका उपयोग हो। राजहरा क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार का अभाव, उच्च शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा आदि का अभाव है। बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण यहां के अधिकतर परिवार अन्य शहरों की ओर पलायपन करने लगे हैं।
50 फीसदी राशि आवश्यकता पूर्ति में खर्च हो

राजहरा भाजपा मंडल उपाध्यक्ष अंजू साहू ने कहा कि बीएसपी द्वारा जिला खनिज न्यास में प्राप्त हो रही राशि का कम से कम 50 प्रतिशत राशि केवल दल्लीराजहरा नगर के विकास कार्यों पर खर्च किया जाना चाहिए, जो कि विकास नगरवासियों की आवश्यकता भी है। हमारा तर्क है कि जिला खनिज न्यास में से शेष 50 प्रतिशत राशि को अन्य जिलों में न भेजकर बालोद जिले के विभिन्न गांवों मेेें विकास कार्यों को कराया जाए। यह बड़ी दुख की बात है कि शासन-प्रशासन यहां की उपेक्षा या अनदेखी क्यों कर रही है।
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