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बालोद

समुद्र तल से 100 मीटर नीचे चल रही खुदाई, माइनिंग के चलते हर रोज बह रहा हजारों लीटर साफ पानी

राजहरा खदान में माइनिंग कार्य में लौह अयस्क के लिए खुदाई के दौरान रोजाना निकल रहे हजारों लीटर पानी को बीएसपी प्रबंधन व्यर्थ बहा रहा है।

बालोदJul 15, 2018 / 12:42 am

Chandra Kishor Deshmukh

पानी निकालने के लिए दो स्थानों मेेंं बैठाए गए हैं बड़े मोटर पंप।

माइंस से रोज बह रहा हजारों लीटर पानी

बालोद/दल्लीराजहरा. राजहरा खदान में माइनिंग कार्य में लौह अयस्क के लिए खुदाई के दौरान रोजाना निकल रहे हजारों लीटर पानी को बीएसपी प्रबंधन व्यर्थ बहा रहा है। समय की मांग को देखते हुए इस पानी को डेम या तालाब बनाकर उपयोग में लाया जा सकता है, लेकिन इस दिशा में प्रबंधन ने कार्रवाई करना तो दूर अब तक सोचा ही नहीं है।

समुद्र तल से लगभग 100 मीटर नीचे खुदाई का कार्य चल रहा
राजहरा खदान मेें लौह अयस्क प्राप्त करने के लिए समुद्र तल से लगभग 100 मीटर नीचे खुदाई का कार्य चल रहा है, जिसके लिए रोजाना हजारों लीटर पानी निकला जा रहा है। नीचे की ओर जैसे-जैसे जमीन की खुदाई की जाती है, वैसे-वैसे पानी का रिसाव भी बढऩ़े लगता है, ऐसे में लौह अयस्क प्राप्त करने के लिए पानी को बाहर निकालना जरूरी होता है। इस प्रक्रिया के दौरान खुदाई से निकल रहे पानी को बाहर निकालने केे लिए बीएसपी प्रबंधन दो बड़े-बड़े मोटर पंप लगाकर दिन व रात चला रहा है। तीनों पालियों में खदान से हजारों लीटर पानी निकल रहा है, जिसे व्यर्थ बहाया जा रहा है।

15 वर्षों से चल रहा माइनिंग कार्य
राजहरा खदान में उक्त स्थल पर विगत लगभग 15 वर्षों माइनिंग कार्य चल रहा है, और इन वर्षों मेंं प्रबंधन द्वारा प्रतिदिन हजारों लीटर पानी निकाला जा रहा है, जो आज तक अनवरत जारी है। बीएसपी प्रबंधन इस पानी को कहीं डेम या तालाब का निर्माण कर जमा कर रखने की बजाए माइंस के बाहर बहा दिया जा रहा है, जबकि बीएसपी प्रबंधन के अधिकारी पर्यावरण से जुड़े राष्ट्रीय कार्यक्रमों में जल संरक्षण की बात करते हैं, बल्कि जल संरक्षण की शपथ भी लेते हैं। लेकिन जब जल संरक्षण करने की बारी आई है, तो उसे व्यर्थ गंवा दिया जा रहा है।

 

माइंस के नीचे स्तर पर की जा रही मशीन से खुदाई स्थल जमा पानी।
IMAGE CREDIT: balod patrika
दो जलाशय में एक कोई काम का नहीं
बीएसपी प्रबंधन के पास वर्तमान में दो जलाशय हैं, जिनमें से एक बोईरडीह जलाशय और दूसरा राजहरा जलाशय है, लेकिन वर्तमान मेंं बोईरडीह जलाशय के पानी का ही उपयोग किया जा रहा है, जबकि राजहरा जलाशय उचित देखरेख एवं साफ-सफाई के प्रति बीएसपी प्रबंधन की लंबे अरसे से अनदेखी के चलते आज पूरी तरह से लाल फाइंस मिट्टी से पट गया है। इस जलाशय के 70 प्रतिशत भाग मेंं खरपतवार व जलकुंभियों की भरमार है। राजहरा माइंस मेंं माइनिंग कार्य प्रारंभ होने के शुरूआती दौर में यही जलाशय बीएसपी प्रबंधन, बीएसपी कर्मचारियों व आमजनता के लिए उपयोगी था, जो अब किसी काम का नहीं रह गया है।
बड़े जलाशय का किया जाए निर्माण
नगरवासियों ने कहा है कि बीएसपी द्वारा जिला खनिज विभाग को दिए जाने वाली रायल्टी की राशि से जिला प्रशासन द्वारा एक बड़ा जलाशय का निर्माण कराया जाए, जिससे राजहरा खदान में माइनिंग के दौरान प्रतिदिन निकलने वाले हजारों लीटर पानी को उस नए जलाशय मेंं संरक्षित किया जा सके। यह पानी प्रबंधन के साथ-साथ नगरवासियोंं और आसपास के ग्रमीण क्षेत्रों के लोगों के काम आ सके।
जलाशय बनाने का करेंगे आग्रह
राजहरा माइंस के महाप्रबंधक सुरेंद्र सिंह ने बताया कुछ दिनों पूर्व ही माइंस से निकलने वाले पानी के संबध में जानकारी मिली है। इस संबंध में जल्द ही कलक्टर से चर्चा कर खनिज न्यास निधि के माध्यम से एक जलाशय बनवाने का आग्रह करेंगे, जिससे व्यर्थ बहाए जाने वाले पानी को सुरक्षित कर उपयोगी बनाया जा सकेगा।
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