नगर पालिका क्षेत्र में कई बड़े-बड़े भवन बन चुके हैं, वहीं बन रहे हैं, पर कोई भी मकान मालिक शासन की गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहा है। स्थिति यह है किीनगर पालिका ने तो लोगों को अपने मकानों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की अपील करते थक गए हैं, पर कोई भी ध्यान नहीं देता। बिना रह्वैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के मकान बन रहे हैं और नगर पालिका मौन है। इस सिस्टम की उपेक्षा कर लोग ही अपनी परेशानी पैदा कर रहे हैं। जमीन में पानी जाएगा नहीं, तो आएगा कहां से लोग ये नहीं सोच रहे हैं। नगर पालिका की मानें तो लोगों को तो रैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के प्रति जागरूक ही नहीं हो पा रहे हैं।
जिले के शासकीय कार्यालय जैसे जिला शिक्षा विभाग, पीएचई कार्यालय, जिला आयुर्वेद कार्यालय, पीडब्ल्यूडी कार्यालय, तहसील कार्यालय सहित विभिन्न कार्यालयों में भी पानी बचाने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसलिए यह सिस्टम ही नहीं लगाया गया। नतीजा यह है कि बारिश का पानी सहेजने की बजाय व्यर्थ बह जा रहा है। यही नहीं जहां से हम बच्चों को पानी बचाने की शिक्षा देतें ऐसे जिले के शासकीय स्कूल भवनों में भी यही हाल है। ऐसे में कहा जाए पानी बचाने शासन-प्रशासन की योजना सिर्फ कागजों में दिख रही है। केवल नारे व प्रचार से जल नहीं बचाया जा सकता। बल्कि जल बचाने जमीनी स्तर पर कार्य करना होगा।
जिले में लगातार भू जल स्तर गिर रहा है। इसका उदाहरण कुछ साल पहले ५० से १०० फीट में पानी निकल आता था, अब तो 200 तक बोर खुदाई में धूल निकल रहा है। पीएचई विभाग के मुताबिक जिले में औसत जल स्तर 100 फीट है। पर गिरते जल स्तर कोई ठोस पहल नहीं हो पा रही है। मामले में अब तक शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली भी सुस्त है। इस मामले में अगर प्रशासन मकान मालिकों को अनिवार्य करे कि हर हाल में रैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना है तो हर किसी को इसका पालन करना ही होगा।
वर्तमान में जगह-जगह कांक्रीटीकरण होने से धरती में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इसलिए पानी के अंदर जाने की प्रक्रिया तेजी से बन्द हो रही है। यही वजह से जल स्तर भी तेजी से घट रहा है। नगर पालिका परिषद बालोद के सीएमओ रोहित साहू ने कहा रैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने कभी भवन मालिकों को निर्देश दिए जाते हैं। हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया गया है। इस पर अब विशेष चर्चा की जाएगी।