घटना की सूचना पर पुलिस व अतिरिक्त तहसीलदार पीपरछेड़ी पहुंचे व किसानों को शांत रहने की अपील करते रहे पर किसान गुस्से में थे। बाद में खरीदी प्रभारी प्रबंधक ने किसानों से माफी मांगी और गांववार टोकन काटने की बात कही है। सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक यशवंत साहू ने समिति के अंतर्गत आने वाले 4 गांव पीपरछेड़ी, भेंगारी, चारवाही व भेडिय़ा नवागांव के किसानों को एक साथ सोमवार को मैनुअल टोकन के लिए बुलाया। इसके बाद चारों गांवों के किसानों ने रविवार रात 10 बजे से ही कतार लगाकर कड़कड़ाती ठंड में ऋण पुस्तिका लेकर केंद्र के सामने बैठे रहे। वहीं सोमवार सुबह 3 बजे से किसानों की भीड़ लगनी शुरू हो गई। सुबह 7 बजते ही महिला किसान भी आ गईं। मुख्य गेट के सामने ही खड़ी रहीं। सुबह 10 बजे अचानक भीड़ बढ़ गई। देखते ही देखते लगभग 600 से ज्यादा किसान पहुंच गए। टोकन पाने धक्का-मुक्की करने लगे। खरीदी केंद्र का दरवाजा नहीं खोलने पर हंगामा करते रहे।
धक्का-मुक्की से महिला सहित बुजुर्ग किसान गिर गए। किसान ऋण पुस्तिका को जमा करने इन किसानों को पैरों से कुचलते हुए कार्यालय के पास चले गए। कुछ किसानों ने भीड़ को रोकने का प्रयास किया और गिरीं महिलाओं व बुजुर्ग किसानों को एक-एक कर बाहर निकाला। दो महिलाएं बेहोश हो गई थी। इन दो महिलाओं के सीने में चलकर किसान निकले। जिससे उन्हें सीने में अंदरूनी चोट आई है।
भगदड़ मची तो चीख-पुकार मची, लेकिन घटना में महिला किसानों की चूडिय़ां टूटकर बिखर गईं। दर्जनभर से अधिक किसानों के चप्पल भी भगदड़ स्थल पर बिखरे पड़े रहे। टूटी चूडिय़ां व बिखरे चप्पल गवाह है इस भगदड़ का। घायल महिलाओं व किसानों का रो-रोकर बुरा हाल था।
घटना की सूचना पर पहले अतिरिक्त तहसीलदार दीपिका देहारी व पुलिस की टीम पहुंची। भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया लेकिन किसान काफी गुस्से में थे। हंगामा बढ़ता रहा। जिसके बाद गांववार टोकन काटने का फैसला लिया। बिगड़ते माहौल को देखते हुए कलेक्टर जनमेजय महोबे व एसपी सदानंद कुमार भी पीपरछेड़ी खरीदी केंद्र पहुंचे। मामले की जानकारी ली। अव्यवस्था के लिए कलेक्टर ने खरीदी प्रभारी को फटकार भी लगाई। व्यवस्था सुधारने के निर्देश भी दिए।
सुबह 11 बजे जब ग्राम कोटवार ने गेट का दरवाजा खोला तो सभी महिला-पुरुष किसान ऋण पुस्तिका जमा करने कार्यालय की ओर दौडऩे लगे। तभी कई महिलाएं वहीं गिर गई। जिससे भगदड़ में नीचे गिरे महिला-पुरुष किसानों के ऊपर से ही अन्य किसान गुजरने लगे। नाराज कई किसानों ने पहले गिरे किसानों को बाहर निकाला और फिर इस गंभीर लापरवाही पर नारेबाजी व हंगामा किया।
घायल रेखा बाई व अनुसूईया बाई ने बताया कि यह सिस्टम व सेवा सहकारी समिति प्रबंधक की लापरवाही है। सही व्यवस्था करते तो कोई परेशानी भी नहीं होती, लेकिन लचर व्यवस्था व सिस्टम की वजह से यह स्थिति निर्मित हुई है।
सोनाऊ (70), माखन (85), अनुसुइया (60), शांति, (70), खेमिन (70), बिसनाथ (56), धर्मिन (50), रामेश्वरी सोरी (60), रेखा साहू (53), मीरा (55), मुलिया (47), गनेशिया, सोना यादव, गंगा बाई, ललिता, मनभा, कमलेश्वरी आदि शामिल है। इसमें से अनुसूईया बाई, शांति बाई निषाद व खेमिन बाई को ज्यादा चोट आई है।