वन अफसरों ने चौकीदार को गौठान के दरवाजा बंद करने का आदेश दिया जिससे चीतल सुरक्षित रहे और जब मवेशियों को देख चीतल इधर उधर करने लगे तब वन विभाग के कर्मचारियों ने मवेशियों को बाहर निकाला और चीतल को पकड़ कर उसकी मरहम पट्टी की। सुबह से रोहांसी बीट प्रभारी दिनेश वर्मा ने अपने उच्च अधिकारियों को सूचना दी और पशु चिकित्सक को भी मोबाइल किया गया। आला अधिकारियों के निर्देश पर घायल चीतल को बलौदाबाजार ले जाया गया जहां उसका उपचार किया गया परन्तु चोट गहरी होने के कारण और समय पर ईलाज नहीं होने से चीतल की मौत हो गई जिसका पोस्टमार्टम कर पलारी डिपो में चीतल को जलाया गया ।
इस संबंध में रोहांसी बीट प्रभारी दिनेश वर्मा से पूछने पर बताया कि चीतल रोहांसी के बांस के जंगलों में बड़ी संख्या में रहते है और रात्रि को पानी पीने रोहांसी के तालाब में प्रतिदिन आते हैं। आज एक चीतल अपने झुण्ड से अलग होकर सुबह पानी पीने गया था उसी दौरान कुछ कुत्ते उसके पीछे पड़ गए और चीतल के जंघा और मुंह को नोच डालें थे जिसे रेंजर चौबे के निर्देश पर बलौदाबाजार ले जाया गया।
इस संबंध में सहायक परिक्षेत्राधिकारी केसरी जायसवाल ने बताया कि बलौदाबाजार में उपचार के दौरान हड्डी तक चोंट पहुंचने के कारण चीतल की मौत हो गई जिसे पोस्टमार्टम करवाकर चीतल को जलाया गया। चीतल की मौत के संबंध में रेंजर राकेश चौबे ने बताया कि चीतल को कुत्तों के द्वारा घायल कर दिया गया था जहां मौके पर हमारे विभाग के कर्मचारियों द्वारा प्राथमिक उपचार किया गया। उसके पश्चात उसे बलौदाबाजार उपचार हेतु लाया गया जहां घबराहट और चोट के कारण संभवत: चीतल की मौत हुई है। पोस्टमार्डम करवाया गया है उसकी रिपोर्ट आने पर मौत का कारण पता चलेगा।